Pandit Santram Death Anniversary: एक वक्त था, जब हिमाचल प्रदेश की राजनीति में पंडित संत राम की तूती बोला करती थी. वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी रहे पंडित संत राम को प्रदेशभर की जनता 'पंडित जी' के नाम से जानती थी. प्रदेश की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम करने वाले पंडित संतराम की 30 जून को पुण्यतिथि है. लेकिन, विडंबना है कि उनकी पुण्यतिथि के मौके पर कांग्रेस को उनकी याद ही नहीं आई.


सिर्फ तत्कालीन वीरभद्र सरकार में शहरी विकास मंत्री और पंडित संत राम के बेटे सुधीर शर्मा ने अपने पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की. सुधीर शर्मा भी आखिर अपने पिता को कैसे भुलाते? आज भी सुधीर शर्मा की राजनीति में पिता का नाम उनके साथ है. इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी कि 54 साल तक कांग्रेस में रहने वाले पंडित संत राम को आला नेताओं ने याद तक नहीं किया. हालांकि देर शाम हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की ओर से उनके योगदान को लेकर एक छोटा-सा संदेश जरूर जारी हुआ.


54 साल तक कांग्रेस के लिए किया काम


हिमाचल प्रदेश की राजनीति में पंडित संत राम का प्रभाव इस बात से समझा जा सकता है कि 30 जून, 1998 को उनके निधन के वक्त मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह ने कहा था कि संतराम का निधन ऐसा है, जैसे उनके शरीर से बाजू का अलग हो जाना. वीरभद्र सिंह जब भी किसी परेशानी में फंसा करते थे, तो पंडित संतराम ही उन्हें बाहर निकाला करते थे. पंडित संत राम की गिनती वीरभद्र सिंह के सिपहसालारों में अव्वल पर होती थी. साल 1944 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए पंडित संतराम ने 54 साल तक सक्रिय राजनीति की.


पंडित संत राम का राजनीतिक सफर


चौबीन पंचायत के प्रधान के तौर पर राजनीति की शुरुआत करने वाले पंडित संत राम बैजनाथ पंचायत समिति के अध्यक्ष होते हुए प्रदेश विधानसभा में विधायक के तौर पर पहुंचे. कांग्रेस की कई महत्वपूर्ण कमेटी में रहने के बाद साल 1972 में उन्होंने पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वे साल 1990 तक लगातार विधायक रहे. साल 1993 में हुए विधानसभा के लिए एक बार फिर निर्वाचित हुए. 9 मई, 1980 से 24 मई, 1982 तक वह मंत्रिपरिषद में राज्यमंत्री के तौर पर रहे. जून 1982 से 1985 तक के शिक्षा मंत्री, साल 1985 से साल 1990 तक कृषि मंत्री और 13 दिसंबर, 1993 से 1998 तक वे प्रदेश के वन मंत्री रहे. 30 जून, 1998 को उनका निधन हो गया. इसके अलावा पंडित संत राम के नाम इंग्लैंड, इटली, अमेरिका, जापान, हांगकांग और दुबई की विदेश यात्रा भी दर्ज है.


अपने नेताओं को क्यों भूला रही कांग्रेस?


अब सवाल यह है कि बात-बात पर वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करने का दावा करने वाली कांग्रेस को आखिर अपने ही नेता पंडित संतराम की याद क्यों नहीं आई? पंडित संत राम न केवल जिला कांगड़ा के नेता थे, बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति पर उनका वर्चस्व था. यह बात और कोई नहीं बल्कि खुद हिमाचल प्रदेश की राजनीति में 'राजा' के नाम से मशहूर वीरभद्र सिंह भी कहा करते थे. पंडित संतराम की पुण्यतिथि पर केवल बैजनाथ में कार्यक्रम आयोजित हुआ. इसके अलावा कांग्रेस में न तो प्रदेश स्तर पर और न ही जिला स्तर पर कांग्रेस की ओर से कोई कार्यक्रम आयोजित हुआ. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस अपने उन नेताओं को क्यों भूला रही है, जिनकी बदौलत आज कांग्रेस सत्ता पर काबिज है.


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