Himachal Pradesh News: देश के साथ हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में भी बेसहारा पशुओं की समस्या लगातार लगातार बढ़ती चली जा रही है. सरकार ने इस समस्या से समाधान पाने के लिए पशुओं की टैगिंग का काम भी शुरू किया हुआ है. टैंगिंग से पशु के मालिक की पहचान आसानी से हो जाती है और बेसहारा पशुओं को उनके मालिक तक पहुंचाया जा सकता है. इससे सड़कों पर बिना आश्रय के घूम रहे गाय-भैंसों की संख्या में कमी लाई जा सकती है.


हिमाचल प्रदेश में इनफॉरमेशन नेटवर्क फॉर एमिड प्रोडक्टिविटी एंड हेल्थ (Information Network for amid Productivity and Health) के माध्यम से पशुओं की टैगिंग का काम किया जा रहा है. प्रदेश में 20 मार्च तक 16 लाख 70 हजार 102 गायों की टैगिंग का काम पूरा हो चुका है. इसके अलावा 5 लाख 72 हजार 34 भैंसों की भी टैगिंग की जा चुकी है. 


 प्रदेश में पशुओं की टैगिंग का काम
यह कुल पशुओं की संख्या का सिर्फ 90.60 फीसदी है. हिमाचल प्रदेश में पशुओं की टैगिंग का काम भले ही तेजी से हो रहा हो, लेकिन यहां पशुओं को छोड़ने पर जुर्माना केवल नाम मात्र का है. पहली बार पशु छोड़ने पर सिर्फ 500 और दूसरी बार पशु ऐसा करने पर 700 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है. इस जुर्माने से पशुओं को बेसहारा छोड़ने वाले पशु मालिक मालिकों में किसी तरह का कोई डर भी नहीं है.


हो रहा फसलों को नुकसान 
यह जानकारी हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के सदस्य दीप राज के सवाल पर कृषि मंत्री की ओर से अतारांकित उत्तर के तौर पर दी गई है. विभाग ने लोगों से सामाजिक जागरूकता बढ़ाने का भी आह्वान किया है. विभाग का कहना है कि आवारा पशुओं की समस्या से छुटकारा आम जनता के सहयोग से पाया जा सकता है. लोग गाय के दूध बंद कर देने पर उसे सड़कों पर बेसहारा छोड़ देते हैं. ऐसे में सड़कों पर दुर्घटना होने के साथ किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है. बेसहारा पशुओं की समस्या से समाधान पाने के लिए सामाजिक दायित्व समझना सबसे आवश्यक है.


1100 पर की जा सकती है बेसहारा पशुओं की शिकायत
हिमाचल प्रदेश में 20वीं पशु गणना के अनुसार, राज्य में 36 हजार 311 बेसहारा पशु हैं. इनमें से 20 हजार 203 बेसहारा पशुओं को विभिन्न गौ सदनों में आश्रय प्रदान किया गया है. अब भी 9 हजार 117 बेसहारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं. प्रदेश में बेसहारा पशुओं की शिकायत मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन 1100 पर भी की जा सकती है. इस नंबर पर संपर्क करने के बाद शिकायत संबंधित विभाग को भेजकर बेसहारा पशुओं को आश्रय देने का काम किया जाता है.


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