Constitution Day 2022: संविधान दिवस के मौके पर देश भर में संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा. इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) में भी प्रदेश भर से किसानों ने जुटकर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन किया. इसके बाद राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Rajendra Vishwanath Arlekar) के मार्फत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को ज्ञापन सौंपा गया. ज्ञापन में केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाए गए हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि केंद्र सरकार अपने वादे के मुताबिक फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देना शुरू करें. इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग कर रहा है. प्रदर्शन के दौरान किसान नेता राकेश सिंघा ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाए. राकेश सिंघा ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस लेते वक्त एमएसपी देने की बात कही थी, लेकिन आज तक किसानों को एमएसपी नहीं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि यह किसानों के साथ वादाखिलाफी है.
गरीब हुआ और अधिक गरीब: राकेश सिंघा
राकेश सिंघा ने कहा कि सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की, कोई भी सरकार किसान-बागवान के हित में नहीं सोचती. उन्होंने कहा कि साल 1991 में उदारीकरण की नीति को अपनाना गरीब के खिलाफ थी. उन्होंने कहा कि इसके बाद से देश भर में अमीर और अधिक अमीर होता चला गया. वहीं गरीब और अधिक गरीब हो गया. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल बड़े-बड़े दावे तो करते हैं, लेकिन किसानों के हित के बारे में नहीं सोचते.
किसान हित में सोचे सरकार: संयुक्त किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि सरकार लगातार किसान विरोधी फैसले रही है. किसान मोर्चा ने मांग उठाई है कि सरकार बिजली विधायक संशोधन 2022 को जल्द वापस ले. इसके अलावा मोर्चे ने हिमाचल प्रदेश के बागवानी के मुद्दों को भी राष्ट्रपति के सामने रखा है. संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि बीते कुछ सालों से बागवानी की लागत बढ़ी है और कमाई घटी है. लगातार थोपे जा रहे जीएसटी की वजह से बागवान परेशान हुए हैं. हिमाचल प्रदेश के किसान-बागवान होने सेब, लहसुन, टमाटर और अदरक पर एमएसपी की मांग के साथ जंगली जानवरों की समस्या से भी निजात दिलवाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की है.