Himachal Pradesh Farmers: हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बेमौसम बर्फबारी, बारिश और ओलावृष्टि ने किसान-बागवानों की फसल तबाह कर दी है. अप्रैल और मई के महीने में लगातार हो रही बेमौसम बारिश की वजह से किसान-बागवानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा है. प्रदेश में इस प्राकृतिक आपदा के चलते सेब, नाशपाती, आम, गुठलीदार फल, सब्जी और गेहूं की फसल खराब हुई है. इससे किसान-बागवानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है.


किसान-बागवानों के नुकसान को देखते हुए कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) ने उचित मुआवजा देने की मांग उठाई है. सीपीआईएम के जिला सचिव और शिमला नगर निगम के पूर्व मेयर संजय चौहान ने कहा है कि बेमौसम हो रही बारिश की वजह से किसान-बागवान परेशान हैं. सरकार को तुरंत इस नुकसान का आकलन कर उचित मुआवजा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाया है, उन्हें तुरंत भरपाई की जानी चाहिए.


90 करोड़ की बकाया राशि हो जारी


संजय चौहान ने सरकार से किसान-बागवानों के लिए की ओर से लिए गए कर्ज की वसूली पर भी तुरंत रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि किसान-बागवानों को हो रहे नुकसान को देखते हुए किस्तें देने पर रोक लगाई जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सेब उत्पादकों का मंडी मध्यस्थता योजना के तहत लिए गए सेब का करीब 90 करोड़ रुपये बकाया भुगतान करने की भी मांग की है. संजय चौहान ने कहा कि बेमौसम हो रही बारिश की वजह से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है.


आपदा राहत कोष स्थापित करने की मांग


ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार ओलावृष्टि हो रही है. इस वजह से अकेले सेब की फसल ही 60 फीसदी तक खराब हो गई है. इससे बागवानों की करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद हुई है. संजय चौहान ने कहा कि छोटे बागवानों को रोजाना का खर्चा चलाने के लिए भी संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में सरकार को जल्द आकलन कर उचित मुआवजा प्रदान करना चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले किसान बागवानों को राहत मिल सके. बेमौसम बारिश से कृषि पर आए संकट को देखते हुए कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) ने तुरंत प्रभाव से कृषि और बागवानी क्षेत्र के लिए आपदा राहत कोष स्थापित करने की भी मांग की है.


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