Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में शुक्रवार को अलग नजारा दिखाई दिया. आपसी सौहार्द के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आये. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के बैनर तले शांति मार्च निकाला गया


. ‘सद्भावना मार्च’ में लोग जाति धर्म से ऊपर उठकर शरीक हुए. उपायुक्त कार्यालय से लोअर बाजार होते हुए रिज तक ‘सद्भावना मार्च’ में शामिल लोगों ने अमन का पैगाम दिया. अमन प्रेमियों ने बताया कि शांति मार्च का मकसद राज्य का तनावपूर्ण माहौल दूर करना है.


पिछले दिनों संजौली मस्जिद विवाद मामले में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था. आज लोगों ने रिज पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास शांति, सद्भाव और भाईचारे की शपथ ली. पूर्व विधायक और माकपा नेता राकेश सिंह ने लोगों से मानवीय मूल्यों और भाईचारे की रक्षा के लिए आगे आने की अपील की. उन्होंने कहा, “राज्य के लोगों ने हमेशा संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की है. देश के संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता का उल्लेख है.


संविधान सभी धर्मों को समानता का अधिकार देता है.” राकेश सिंह ने कहा, “ संविधान धर्म, जाति, क्षेत्र और नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं करता. लेकिन पिछले दिनों सुनियोजित सांप्रदायिक हिंसा ने देश और विदेश में हिमाचल प्रदेश की छवि को धूमिल किया है.”


तनावपूर्ण माहौल के बीच लोगों ने दिया शांति का संदेश


उन्होंने कहा कि राज्य का सबसे बड़ा पर्यटन उद्योग प्रायोजित सांप्रदायिक तनाव के कारण खतरे में है. शिमला नगर निगम के पूर्व महापौर और माकपा नेता संजय चौहान ने कहा कि राजधानी समेत पूरे राज्य में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया जा रहा है. चौहान ने कहा, “पिछले एक महीने से शिमला शहर समेत राज्य के कई हिस्सों में सौहार्द और सद्भावना को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है.”


उन्होंने कहा कि शांति मार्च के जरिए हम सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का संदेश देना चाहते हैं. इस बीच, हिंदू-दक्षिणपंथी समूह देवभूमि संघर्ष समिति ने संजौली मस्जिद को तोड़ने और अज्ञात प्रवासियों के सत्यापन की मांग को लेकर बड़ा ऐलान किया है. देवभूमि संघर्ष समिति ने शनिवार को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है. 


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