Himachal CPS Appointment: CPS नियुक्ति का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, अदालत ने सरकार से मांगा जवाब
हिमाचल प्रदेश सरकार में 6 सीपीएस की नियुक्ति को लेकर पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने आवेदन के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार को नोटिस जारी किया है.
![Himachal CPS Appointment: CPS नियुक्ति का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, अदालत ने सरकार से मांगा जवाब CPS Appointment case reach to high court questioned CM Sukhu Government ann Himachal CPS Appointment: CPS नियुक्ति का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, अदालत ने सरकार से मांगा जवाब](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/25/796584ed0def89209f8ef033bb38d6751679716079179646_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Himachal CPS Appointment: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) के नेतृत्व वाली सरकार पर आफत थमने का नाम नहीं ले रही है. सरकार में नियुक्त किए गए छह सीपीएस (CPS) की नियुक्ति को आवेदन के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. मामले को पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने हाई कोर्ट के सामने रखा है. इस आवेदन में सीपीएस की नियुक्तियों को गलत बताया गया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने इस आवेदन को स्वीकार करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. मामले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सरकार से मामले में जवाब मांगा है.
इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को तय की गई है. इससे पहले साल 2016 में बनाए गए नौ सीपीएस के खिलाफ हाईकोर्ट के सामने हिमाचल प्रदेश मुख्य संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं अधिनियम 2006 को चुनौती दी गई थी. अब तक यह मामला हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबित है. उस समय भी याचिकाकर्ता ने नौ मुख्य संसदीय सचिवों को प्रतिवादी बनाया था. आवेदन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को यह बताया गया है कि पुरानी सरकार अब बदल चुकी है और मामले का निपटारा करने के लिए नए मुख्य संसदीय सचिवों को प्रतिवादी बनाया जाना जरूरी है.
सभी मुख्य संसदीय सचिवों को प्रतिवादी बनाने की अपील
इस याचिका में नए मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, संजय अवस्थी, राम कुमार मोहन लाल ब्राक्टा, आशीष बुटेल और किशोरी लाल को प्रतिवादी बनाए जाने की अपील भी की गई है. अदालत में यह दलील पेश की गई है कि हिमाचल और असम में संसदीय सचिव की नियुक्तियों के नियम एक जैसे हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार को यह पता है कि सुप्रीम कोर्ट ने असम और मणिपुर में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को गैरकानूनी करार दिया था. इसके बावजूद हिमाचल प्रदेश सरकार ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति कर दी.
15 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती मंत्रिमंडल की संख्या
इन सभी मुख्य सचिवों को हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में दिए जा रहे हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है इस सीपीएस की नियुक्ति कानूनों के प्रावधान के खिलाफ है. आवेदन में यह भी कहा गया है कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने भी गैर कानूनी ठहराया है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसद से अधिक नहीं हो सकता. हिमाचल प्रदेश में नियुक्त करने के बाद मंत्रियों की संख्या 15 से अधिक हो गई है. याचिका में कहा गया है कि सरकार ने सब कुछ जानते हुए भी गलत तरीके से सीपीएस की नियुक्ति की है.
ये भी पढ़ें: Himachal Pradesh: हिमाचल में 90 फीसदी पशुओं की टैगिंग का काम पूरा, लेकिन पशु छोड़ने पर नाम मात्र का है जुर्माना
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)