CPS Appointment Case: हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक सतपाल सिंह सत्ती के साथ अन्य ने इसे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. लंबे वक्त से मामले में हिमाचल हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.


सोमवार से हिमाचल हाई कोर्ट में न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ इस मामले में लगातार सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने मामले में पक्ष और विपक्ष की बहस खत्म होने तक लगातार तीन दिन तक सुनवाई का फैसला लिया है. सोमवार को भी पूरे मामले में तीन घंटे तक बहस चली. वादी पक्ष ने अपनी बहस कोर्ट के सामने पूरी कर ली है.


जयराम ठाकुर का सुक्खू सरकार पर निशाना
इस बीच नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर का बयान सामने आया है. जयराम ठाकुर ने कहा कि इस पूरे मामले में लंबे वक्त से सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने सरकार को बहुत ज्यादा समय दिया है. अब भी सरकार के एडवोकेट जनरल अनूप रतन इस मामले में अधिक समय की मांग कर रहे हैं. 


उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में ही एडवोकेट जनरल ने कहा कि उन्हें इस पूरे मामले में बहस करने से मना किया गया है. वह पूरे मामले में अदालत के समय मांग रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि मुख्य संसदीय सचिवों का पद जाना तय है. साथ ही आने वाले वक्त में वह हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्यता से डिसक्वालीफाई तक भी हो सकते हैं.






हिमाचल प्रदेश में छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति
हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए हैं. इनमें कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, दून से राम कुमार और अर्की से संजय अवस्थी शामिल हैं. 


बीजेपी को विश्वास है कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ फैसला सुनाएगी और इन विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव का पद छोड़ना पड़ेगा. वादी पक्ष ने वादी पक्ष ने सरकार में उप मुख्यमंत्री के पद की नियुक्ति को भी चुनौती दी थी.


16 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति से जुड़े रिकॉर्ड को भी तलब कर लिया था. हालांकि बाद में वादी पक्ष ने अपनी मुख्य याचिका से उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति को चुनौती देने वाली मांग को वापस ले लिया.


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