HP News: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में राज्य संग्रहालय शिमला की ओर से कला एवं शिल्प मेले का आयोजन किया गया है. गुरुवार को शुरू हुआ यह शिल्प मेला पांच दिनों यानी 27 नवंबर तक चलेगा. इस मेले में प्रदेश भर के अलग-अलग उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है. इसका मकसद प्रदेश के हस्तकला उद्योग और हैंडक्राफ्ट कारीगरों के की कुशलताओं का प्रदर्शन के साथ हैंडीक्राफ्ट उत्पादों को आम जीवन में बढ़ावा देने के साथ दुनिया तक इसे पहुंचाना है.
बड़ी संख्या में लोग कर रहे खरीदारी
शिमला के रिज मैदान पर आयोजित इस मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों के लिए भी यहां प्रदेश के अलग-अलग उत्पादों के बारे में जानने का मौका है. इसके अलावा लोग बड़ी संख्या में यहां खरीददारी भी कर रहे हैं.
कारीगरों के इन उत्पादों ने लोगों को लुभाया
हिमाचल प्रदेश संग्रहालय के निदेशक हरीश चौहान ने बताया कि हस्तशिल्प मेले में प्रदेश भर के कारीगरों के उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं. इस मेले का आयोजन इन कारीगरों को बेहतर मंच उपलब्ध करवाने के लिए किया गया है. हस्तशिल्प मेले में किन्नौर टोपी, वुडन क्राफ्ट, कांगड़ा मिनिएचर, चंबा चप्पल, कुल्लू शॉल, चंबा थाल, हैंडीक्राफ्ट की प्रदर्शनी लगी है. कारीगरों के बनाए उत्पाद लोगों को पसंद भी खूब आ रहे हैं, और वो इसकी खरीदारी भी कर रहे हैं. मेले में कांगड़ा पेंटिंग, मेटल क्राफ्ट, थंका पेंटिंग, कुल्लवी शॉल, पहाड़ी टोपी, चंबा पत्थर से बनी मुर्तियां, चीड़ की पत्तियों से बने उत्पाद, लकड़ी के उत्पाद, मिट्टी से बनाए गए बर्तन सहित अन्य चीजें प्रदर्शित की गई हैं. इसमें किन्नौरी मफलर 1200 से 28 हजार हजार, कुल्लवी टोपी 400 से 500, किन्नौरी पट्टू 18 से 30 हजार और पशमीना शॉल तीन हजार से चार हजार रुपये में उपलब्ध है.
रोजगार प्रोत्साहन पर जोर
एचपी संग्रहालय के अध्यक्ष हरी चौहान के मुताबिक कला एवं शिल्प मेला हर साल पदमदेव कांप्लेक्स में लगाया जाता है. मेले का मुख्य उद्देश्य हिमाचल की हस्तशिल्प कला को संजोने के साथ ही कारीगरों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना है.