(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Dalai Lama: 1550 रुपये में नीलाम हुआ दलाई लामा का वफादार डूका, 12 साल तक सुरक्षा में था तैनात
Dalai Lama Security Dog: तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की सेवा में तैनात लेब्राडोर डॉग डूका रिटायर हो गया है. अब उसे 1550 रुपये में अजय कुमार ने खरीदा है. बता देे डूका की नीलामी में कुल पांच लोगों ने भाग लिया था.
Dalai Lama Pet News: जानवरों की सभी प्रजातियों में कुत्ते को सबसे भरोसेमंद और ईमानदार साथी माना जाता है. कुत्ते की ईमानदारी इनसान से भी कई ज्यादा गुना अधिक होती है. 7 फरवरी को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) की सेवा में तैनात लेब्राडोर डूका रिटायर हो गया है. डूका को 12 साल पहले दलाई लामा की सुरक्षा सेवा के लिए मेरठ आर्मी सेंटर से खरीदा गया था.
इससे पहले धर्मशाला पुलिस ने डूका की नीलामी 7 फरवरी को तय की थी, लेकिन यह नीलामी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. इसके बाद 10 फरवरी के दिन डूका को उसका नया मालिक मिल गया. डूका का बेस प्राइस 500 रुपए तय किया गया था. धर्मशाला के रहने वाले अजय कुमार ने डूका को 1 हजार 550 रुपए में खरीदा है. 13 साल पहले डूका को एक लाख 23 हजार में खरीदा गया था.
डूका की जगह लेगा सात महीने का टॉमी
लेब्राडोर डूका की सबसे बड़ी खासियत विस्फोटकों को लेकर पुलिस को आगाह करना था. लेब्राडोर डूका की जगह अब 7 महीने का टॉमी लेगा. टॉमी को पंजाब होमगार्ड डेरा बस्सी ट्रेनिंग सेंटर से तीन लाख में खरीदा गया है. तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की सुरक्षा में अब डूका की जगह टॉमी ही नजर आएगा.
साल 2010 में खरीदा गया था डूका
साल 2010 में जब डूका को मेरठ से खरीदा गया था, उस समय ड्यूका की उम्र सिर्फ सात महीने थी. डूका की नीलामी में कुल पांच लोगों ने भाग लिया था. डूका के नए मालिक अब अजय कुमार हैं. डूका सुबह एक अंडे के साथ 200 ग्राम दूध और रोटी खाता है. शाम के वक्त डूका को 400 ग्राम मटन और तीन सौ ग्राम सब्जी की जरूरत होती है. डूका अब 13 साल का हो चला है और उसे अब सुनाई भी कम देता है.
दुनिया भर में बेहद पसंद किए जाते हैं लैब्राडोर
लैब्राडोर दुनिया भर में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली नस्लों में से एक है. लैब्राडोर अपनी बुद्धिमत्ता की वजह से आम लोगों में भी बेहद लोकप्रिय है. लैब्राडोर पालने योग्य बेहतरीन नस्ल है, जो हर जगह खुद को साबित करने की काबिलियत रखते हैं. चाहे वह एक पालतू कुत्ते के रूप में हो या फिर सुरक्षा विभागों में.