(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Himachal Politics: हिमाचल में गहरा रहा वित्तीय संकट! फिर आमने-सामने हुए पक्ष-विपक्ष
केंद्रीय वित्त पोषण पर आगे बढ़ने वाले हिमाचल पर वित्तीय संकट मंडराता हुआ नजर आ रहा है. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में वित्तीय संकट की संभावना के बीच पक्ष-विपक्ष आमने-सामने हो चले हैं.
Financial Crisis on Himachal: हिमाचल प्रदेश का इन दिनों वित्तीय संकट मंडराता हुआ नजर आ रहा है. हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से लगातार धन की कमी की बात कही जा रही है. प्रदेश के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) लगातार प्रदेश के आर्थिक बदहाली की ओर इशारा कर रहे हैं. यही नहीं, सरकार की ओर से कई बार लोगों को कड़े फैसले के लिए तैयार रहने की भी चेतावनी दी जा चुकी है. अब इस बीच हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने केंद्र पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने के आरोप लगा दिए हैं. कांग्रेस के इन आरोपों के बाद अब पक्ष-विपक्ष आमने-सामने हो चुके हैं. सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच इन दिनों जमकर बयानबाजी भी हो रही है.
जयराम ठाकुर का पलटवार
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के वित्तीय प्रतिबंध वाले बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Former Chief Minister Jairam Thakur) ने भी सरकार पर पलटवार किया है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता इन दिनों दिल्ली में केंद्र नेताओं को जाकर बुके देते हैं और फिर वापस लौट कर केंद्र में नेताओं को गाली देने का काम करते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता प्रदेश वापसी होने के साथ ही बजट का रोना रोने लग जाते हैं, जो सरासर गलत है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर मानते हैं और प्रदेश के विकास में कभी कोई कमी नहीं आने देते.
हिमाचल की कर्ज लिमिट घटाई- अग्निहोत्री
अपने सिरमौर दौरे पर उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri) ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र का हिमाचल के प्रति रवैया बदल गया है. केंद्र से हिमाचल सरकार को जैसा सहयोग मिलना चाहिए था, वह मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा है. उप मुख्यमंत्री ने भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अब हिमाचल प्रदेश पर वित्तीय शिकंजा कसने की कोशिश कर रही है. केंद्र सरकार ने कर्ज की लिमिट को 14 हजार करोड़ से घटाकर 9 हजार करोड़ कर दिया है. वहीं, फॉरेन फंडिंग पर भी केंद्र सरकार ने कैप लगा दी है. इससे हिमाचल प्रदेश सरकार पर वित्तीय संकट पैदा होने की संभावना है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार अपने स्तर पर संसाधन जुटाने का काम कर रही है और हिमाचल प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए सरकार प्रतिबद्धता के साथ काम करेगी.
हिमाचल पर 71 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज
हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बनने के बाद प्रदेश पर कर्ज़ (Loan on Himachal) का मुद्दा लगातार चर्चाओं में रहा है. सरकार बनते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल पर 75 हज़ार करोड़ रुपए का कर्ज़ होने की बात कहते रहे. वहीं, बीजेपी सरकार के दौरान प्रदेश पर 69 हज़ार 600 करोड़ रुपए के कर्ज होने की बात बताती रही. विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, हिमाचल पर अब तक 71 हज़ार 082 करोड़ रुपए का कर्ज है. मौजूदा समय में हिमाचल पर औसतन 95 हज़ार 374 रुपए प्रति व्यक्ति कर्ज़ है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने विभिन्न एजेंसियों से वर्ष 2020-21 में 7 हज़ार 295 करोड़ का कर्ज़ लिया. इसके अलावा 2021-22 में 5 हज़ार 500 करोड़ और 2023-24 में 10 हज़ार 294 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया. कुल-मिलाकर पिछले तीन साल में कुल 23 हज़ार 185 करोड़ के कर्ज़ का बोझ प्रदेश पर लाद दिया गया है.
56683.69 करोड़ रुपए का बजट पास
हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Vidhansabha) में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 56683.69 करोड़ रुपए का बजट पास किया गया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 17 मार्च को सदन में 53 हजार 613 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बजट पेश किए जाने के बाद 20 मार्च से 23 मार्च तक बजट अनुदान पर 10 घंटे 32 मिनट तक चर्चा हुई. इस चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कुल 52 सदस्य ने सदन में अपनी बात रखी थी. बजट की अनुदान मांगों पर चर्चा के बाद इसमें 3064.69 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की गई थी. हिमाचल प्रदेश में बजट का 44 फ़ीसदी हिस्सा कर्मचारियों की तनख्वाह और रिटायर कर्मचारियों की पेंशन देने में चला जाता है. ऐसे में आने वाले वक्त में हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों के वेतन देने और प्रदेश के विकास को आगे बढ़ाने में सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.