Himachal Pradesh Statehood Day: हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार. 'परमार साहब' को न सिर्फ पहले मुख्यमंत्री के तौर पर जाना जाता है, बल्कि उन्हें हिमाचली लोगों के अधिकारों के संरक्षण करने वाले नेता के तौर पर भी याद किया जाता है.
डॉ. यशवंत सिंह परमार बेहद ही सादा जीवन जीने के लिए जाने जाते रहे. वे मौजूदा दौर के राजनीतिज्ञों के लिए भी उदाहरण हैं. डॉ. यशवंत सिंह परमार ही वह नेता हैं, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बड़ी लड़ाई लड़ी.
परमार ने केंद्र के सामने जोर-शोर से उठाई थी मांग
कई अहम संस्थाएं हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के खिलाफ थी. कुछ लोग मानते थे कि हिमाचल प्रदेश राज्य बनने के बाद आर्थिक तौर पर व्यवहार्य (Financially Viable) नहीं होगा. हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार ने हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र के सामने जोरों-शोरों से अपनी मांग रखी.
डॉ. परमार तब तक पीछे नहीं हटे, जब तक हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल गया. तमाम कोशिशों के बाद डॉ. परमार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से शिमला में हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा करवाई. इस तरह हिमाचल प्रदेश भारतीय गणराज्य का 18वां राज्य बना.
पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका
25 जनवरी 1971 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा की थी. पहाड़ के लोगों के दर्द की समझ रखने वाले डॉ. परमार ने न केवल हिमाचल का इतिहास बदला बल्कि भूगोल को भी बदलने का काम किया.
हिमाचल प्रदेश के अधिकारों के संरक्षण के लिए आज भी हर हिमाचली उन्हें सच्चे दिल से याद करता है. डॉ. परमार को न सिर्फ हिमाचल प्रदेश, बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के लोग भी अपना आदर्श मानते हैं.
सेशन जज भी रहे डॉ. यशवंत परमार
यशवंत परमार पढ़ाई-लिखाई में बहुत तेज थे. यशवंत सिंह ने साल 1922 में मैट्रिक और साल 1926 में लाहौर के प्रसिद्ध सीसीएम कॉलेज से स्नातक के बाद साल 1928 में लखनऊ के कैनिंग कॉलेज में प्रवेश लिया. यहां से उन्होंने स्कूली शिक्षा के बाद लॉ की पढ़ाई की.
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