Emergency 1975 News: भारत में 25-26 जून 1975 की दरमियानी रात को आपातकाल लगाया गया था. इसे आजाद भारत के इतिहास के काले अध्याय के रूप में याद किया जाता है. देश में इमरजेंसी 21 मार्च 1977 तक रही. देश में लगी इमरजेंसी की 50वीं बरसी के मौके पर हिमाचल प्रदेश सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे सुरेश भारद्वाज ने कांग्रेस पर निशाना साधा. भारद्वाज खुद भी 23 साल की उम्र में इमरजेंसी के दौरान जेल में रहे हैं.

 

सुरेश भारद्वाज ने नेहरू-गांधी परिवार को तानाशाह करार दिया. उन्होंने कहा कि यह कला अध्याय है, जिसे आने वाली पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि इन दिनों कांग्रेस लोकतंत्र को बचाने की खूब बातें करती है, जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस की प्रवृत्ति ही तानाशाही वाली है. भारद्वाज ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान तो इंदिरा गांधी मुर्दाबाद के नारे लगाने पर भी 19 महीने के लिए जेल में डाल दिया जाता था.

 

लोगों को बेवजह जेल में डाला गया- सुरेश भारद्वाज 

पूर्व शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र की बड़ी-बड़ी दुहाई दे रही है, लेकिन वास्तव में कांग्रेस ने ही देश में लोकतंत्र खत्म करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि नेहरु और गांधी परिवार पूरी तरह तानाशाही में ही विश्वास रखता है. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान लोगों को बिना किसी अपराध के जेल में डालने का काम किया गया था. लोगों की जेल में मौत भी हुई.

 

'कांग्रेस पार्टी को लोकतंत्र में विश्वास नहीं'

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान बेवजह जेल में डाल दिया और उनके परिवार के लोगों को उनसे दूर करने का काम किया गया. इमरजेंसी के दौरान जबरन लोगों की नसबंदी की गई. इनमें कई युवा भी शामिल थे. भारद्वाज ने कहा कि जनता पार्टी का लोकतंत्र में पूर्ण विश्वास है, लेकिन कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखती. इसी वजह से देश में इमरजेंसी लागू की गई थी. उन्होंने कहा कि आज 50 साल बाद भी देश इसे लोकतंत्र में काले अध्याय के रूप में याद कर रहा है.

 

मंत्रिमंडल को बिना बताए लगाया आपातकाल- सुरेश भारद्वाज 

पूर्व शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून को आधी रात मंत्रिपरिषद को बताए बिना राष्ट्रपति को आपातकाल की घोषणा करने के लिए मजबूर किया. आपातकाल की घोषणा पर राष्ट्रपति से मजबूरी से हस्ताक्षर करवाए गए. इंदिरा गांधी ने मंत्रिपरिषद को 26 जून के दिन इसकी सूचना दी. इस दौरान अटल बिहारी वाजपेई, राजनाथ सिंह और जेपी नारायण जैसे बड़े नेताओं को बेवजह जेल में डाला गया. देश में करीब 1.4 लाख लोग गिरफ्तार हुए और 22 लोगों की जेल में ही मौत भी हुई. उन्होंने कहा कि यही कांग्रेस पार्टी का असली चेहरा है.