Himachal Scholarship Scam Update: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति देने में 200 करोड़ रुपये के कथित घोटाले से जुड़े एक मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार किये गये लोगों में राज्य के उच्च शिक्षा निदेशालय का एक पूर्व अधिकारी भी शामिल है. प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बताया कि चारों आरोपियों को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया है.
जांच एजेंसी ने बताया कि एएसएएमएस शिक्षा समूह के साझेदारों राजदीप जोसन और कृष्ण कुमार, केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के उपाध्यक्ष हितेश गांधी और हिमाचल प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय की छात्रवृत्ति शाखा के पूर्व अधिकारी अरविंद रजता को बुधवार को हिरासत में लिया गया है. ईडी ने बयान जारी कर बताया कि शिमला की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने सभी आरोपियों को पांच दिनों के लिए एजेंसी की हिरासत में भेज दिया.
क्या है मामला
एजेंसी ने आरोप लगाया कि एएसएएमएस शिक्षा समूह और कौशल विकास सोसायटी के माध्यम से जोसन और कुमार ने ‘मनगढ़ंत’ दस्तावेज पेश करके अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक योजना के तहत छात्रवृत्ति का दावा किया. इसी तरह, इसमें कहा गया है कि केसी समूह के संस्थानों ने भी छात्रवृत्ति के लिए ‘फर्जी’ दावे किए थे जिन्हें रजता ने सत्यापित किया था. ईडी को जांच में पता चल कि गांधी ने छात्रों के बैंक खाते में वितरित छात्रवृत्ति को केसी समूह के संस्थानों के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया था.
धन शोधन का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी से सामने आया है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग, निजी संस्थानों और बैंकों के अधिकारी 200 करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति निधि के वितरण में बड़े पैमाने पर हुई हेराफेरी में शामिल थे. एजेंसी ने इस मामले में 29 अगस्त को हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में 24 स्थानों पर छापेमारी की थी. इन छापों के दौरान इसने 75 लाख रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की थी और बैंक खातों में पड़े 2.55 करोड़ रुपये फ्रीज कर दिए थे.