Shimla News Weather: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की पहाड़ियों के धंसने पर पर्यावरणविद और शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेन्द्र पंवार ने मंगलवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि ​भौगोलिक दृष्टि से शिमला अत्यधिक संवेदनशील लोकेशन है. इस क्षेत्र में भवन बनाते वक्त मिट्टी और सलाइडिंग जोन का ख्याल रखना बहुत जरूरी है.


पर्यावरणविद टिकेन्द्र सिंह पंवार के मुताबिक, "पहाड़ी क्षेत्र में भवन निर्माण का तरीका मैदानी इलाकों से बिल्कुल अलग होता है. इस मामले में शिमला अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र है. यहां मिट्टी और स्लाइडिंग जोन की व्यापक समझ की आवश्यकता है, इसलिए शहर का भू-स्थानिक मानचित्रण बहुत महत्वपूर्ण है. यहां पर स्लाइडिंग जोन को चिह्नित किया जाना चाहिए." 






'पहाड़ियों का धंसना संस्थागत विफलता'


टिकेन्द्र सिंह ने आगे कहा, "सतही जल निकासी के लिए डिजाइन को बांधने की आवश्यकता है. ताकि पानी बह सके. इसके अलावा, एक और कारण संस्थागत विफलता है. हमारे सभी डिजाइन दोषपूर्ण हो गए हैं. शिमला में 20 से अधिक स्थान ऐसे हैं, जहां सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं. हम आपदा का इंतजार कर रहे हैं?" 


कौन हैं पर्यावरणविद टिकेन्द्र सिंह?


टिकेन्द्र सिंह पंवार शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर रह चुके हैं. उन्होंने शहर के विकास योजना के साथ एक ऐसा दृष्टिकोण बनाने में सफलता पाई, जो समावेशी विकास, बेहतर नियोजित सामाजिक बुनियादी ढांचे और न केवल शहर बल्कि नागरिकों को लचीला बनाने की बात करता है. यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश में लोगों की भागीदारी से शहर में वन क्षेत्र को बढ़ाया जा रहा है. वार्ड सभाओं को मजबूत कर लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का एक मॉडल विकसित किया जा रहा है. टिकेन्द्र पंवार 74वें संविधान की समीक्षा करने के लिए बने राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य भी थे.


 वह शहरी एलईडी रणनीति कार्यक्रम के लिए दक्षिण अफ्रीका गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. एक महीने के लिए शहरीकरण पर फेलोशिप के लिए चीन गए प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे. सियोल में लचीले शहरों की विश्व कांग्रेस में शहर का प्रतिनिधित्व करने वाली टीम का भी वह हिस्सा रह चुके हैं. 


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