Vistadome Train Shimla: कालका-शिमला हेरिटेज रेलवे ट्रैक अपनी खूबसूरती के लिए विश्व भर में मशहूर है. पहाड़ों की रानी शिमला (Queen of Hills Shimla) घूमने के लिए आने वाले पर्यटक इस ट्रेन के खूबसूरत सफर का मजा लेने के लिए पहुंचते हैं. कालका-शिमला हेरिटेज रेलवे ट्रैक (Kalka-Shimla Heritage Railway Track) पर अब पैनोरमिक विस्ताडोम ट्रेन चलाने की तैयारी चल रही है. रेलवे की ओर से किया गया इसका पहला ट्रायल सफल हो गया है. आरडीएसओ लखनऊ (RDSO Lucknow) और आरसीएफ कपूरथला (RCF Kapurthala) की टीमों ने संयुक्त रूप से इसका सफल ट्रायल किया है.


मंगलवार को पैनोरमिक विस्ताडोम ट्रेन सुबह 8:05 पर कालका से रवाना हुई और दोपहर एक बजे शोघी पहुंच गई. शोघी से इस ट्रेन का ट्रायल शुरू हुआ. शोघी पहुंचने पर गाड़ी में लगाए गए सेंसर की तकनीकी जांच के बाद दोपहर 1:46 बजे पर ट्रेन रवाना हुई. इसके बाद ट्रेन दोपहर 2:27 पर शिमला पहुंच गई. इस दौरान ट्रेन को 22 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया गया. अगले हफ्ते के बुधवार तक होने हैं. रोजाना ट्रेन की स्पीड को दो किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से बढ़ाया जाएगा और इसे अधिकतम 28 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचाए जाने की योजना है.


अब और भी ज्यादा खूबसूरत होगा सफर


पैनोरमिक विस्ताडोम कोच को कपूरथला में तैयार किया गया है. ट्रेन दिखने में भी बेहद खूबसूरत है. ट्रेन में लगी बड़ी-बड़ी खिड़कियां पहाड़ों के दीदार को और भी खूबसूरत बना रही हैं. इसके अलावा पैनोरमिक विस्ताडोम कोर्ट को साउंड प्रूफ बनाया गया है. बाहर का शोर उसके अंदर सुनाई नहीं देता. साथ ही कोच में एयर ब्रेक की सुविधा भी दी गई है. इसके अलावा एलईडी लाइटों से लैस कोर्ट स्टेनलेस स्टील से तैयार किया गया है. पैरानोमिक विंडो में लगे शीशे छत तक लगे हुए हैं. इससे बाहर का नजारा और खूबसूरत दिख रहा है. इसके अलावा सीट के साथ ही यात्रियों के लिए चार्जिंग की भी व्यवस्था की गई है. कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक पर चलने वाली नई विस्ताडोम ट्रेन यात्रियों के सफर को और भी बेहतरीन और आनंदमय बना देगी. बीते दिनों रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने भी विस्ताडोम ट्रेन की खूबसूरत तस्वीरें ट्विटर पर साझा की थी.


120 साल पुराना है ट्रैक


9 नवंबर, 1903 को कालका-शिमला रेलमार्ग की शुरुआत हुई थी. अपने 120 साल के सफर में यह रेलमार्ग कई इतिहास संजोए है. यह रेलमार्ग उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन में आता है. देश-विदेश के सैलानी शिमला के लिए इसी रेलमार्ग से टॉय ट्रेन में सफर का लुत्फ उठाते हैं. साल 1896 में इस रेल मार्ग को बनाने का कार्य दिल्ली-अंबाला कंपनी को सौंपा गया था. रेलमार्ग कालका स्टेशन 656 (मीटर) से शिमला (2,076) मीटर तक जाता है. 96 किमी लंबे रेलमार्ग पर 18 स्टेशन हैं. साल 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस मार्ग से यात्रा की थी. कालका-शिमला रेल लाइन के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था. कनोह रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक आर्च गैलरी पुल 1898 में बना था. शिमला जाते यह पुल 64.76 किमी पर मौजूद है.