Himachal Former Governor: उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले शिव प्रताप शुक्ला (Shiv Pratap Shukla) हिमाचल प्रदेश के 22वें राज्यपाल के तौर पर शपथ लेंगे. इस खास मौके पर हम आपको हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे राज्यपाल के बारे में बताएंगे, जिन्होंने राज भवन का मूल स्थान ही बदल दिया था. यह राज्यपाल मध्य प्रदेश के सतना के रहने वाले थे. साल 1993 में जून महीने के 30वें दिन गुलशेर अहमद (Gulsher Ahmad) ने हिमाचल प्रदेश के नए राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला.


इंग्लैंड से पढ़ाई करने के बाद वे बैरिस्टर बने थे. हर राज्यपाल की तरह उनका कार्यालय और आधिकारिक आवास भी बार्नेस कोर्ट था. राज्यपाल गुलशेर अहमद का परिवार इतना बड़ा था कि 10 कमरों वाला बार्नेस कोर्ट के परिवार के लिए छोटा पड़ गया. गुलशेर अहमद के कुल आठ बच्चे थे. इनमें सात बेटियां और एक बेटा शामिल था.


पीटर हॉफ शिफ्ट करना पड़ा राजभवन


गुलशेर अहमद के राज्यपाल के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद उनका पर पूरा परिवार यहां आकर रहने लगा. परिवार में सदस्यों की संख्या ज्यादा होने की वजह से राजभवन को बार्नेस कोर्ट से 32 कमरे वाले पीटर हॉफ शिफ्ट करना पड़ा. साल 1971 से साल 1981 तक पीटरहॉफ से ही राज भवन का काम का चलता था. साल 1981 में यहां लगी आग की वजह से राजभवन को बार्नेस कोर्ट शिफ्ट किया गया था. 


तत्कालीन राज्यपाल गुलशेर अहमद अक्सर विपक्ष के भी निशाने पर रहा करते थे. गुलशेर अहमद को विपक्ष गुलछर्रे अहमद कहकर संबोधित किया करते थे. गुलशेर अहमद को फिजूलखर्ची के लिए जाना जाता था. हालांकि उनका राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं रहा और 26 नवंबर 1993 को उन्हें राज्यपाल की कुर्सी छोड़नी पड़ी.


प्रचार में भाग लेना पड़ा महंगा!


दरअसल, मध्यप्रदेश के सतना में उनके बेटे सईद अहमद चुनाव लड़ रहे थे. गुलशेर अहमद संवैधानिक पद पर होने की वजह से उनका प्रचार नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में घर पर रहकर ही प्रचार को गति देने के काम में जुटे हुए थे. इसमें वे सफल भी नजर आ रहे थे, लेकिन चुनाव प्रचार खत्म होने से दो दिन पहले कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह चुनाव प्रचार में आए. गुलशेर अहमद रैली स्थल से कुछ किलोमीटर पहले उनका स्वागत करने पहुंच गए. इसकी तस्वीर कैमरे में कैद हो गई और अगले दिन समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी.


राज्यपाल की कुर्सी से धोना पड़ा हाथ


नाश्ते में नेताओं को खाने का दावा करने वाले तत्कालीन चुनाव आयुक्त ने मामले में कड़ा संज्ञान लिया. उन्होंने सतना के चुनाव ओल्ड करवा दिए. दो महीने बाद हुए चुनाव में सईद अहमद को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. साथ ही गुलशेर अहमद पर लगे आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप के चलते उन्हें भी अपनी राज्यपाल की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा.


कुछ लोग यह भी कहते हैं कि अर्जुन सिंह ने सियासी रंजिश के चलते जान-बूझकर उस तस्वीर को समाचार पत्रों तक पहुंचाने का काम किया था. 3 अगस्त 1921 को जन्मे गुलशेर अहमद ने 20 मई 2002 को दुनिया से अलविदा कहा. हिमाचल प्रदेश के इतिहास में राज्यपाल रहे गुलशेर अहमद को उनके दिलचस्प कारनामों के लिए याद किया जाता है.


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