Virbhadra Singh: हिमाचल प्रदेश की राजनीति स्व. वीरभद्र सिंह के जिक्र के बिना अधूरी है. छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने वीरभद्र सिंह का सियासी जीवन दिलचस्प किस्सों से भरपूर है. वीरभद्र सिंह पर मां भीमाकाली के साक्षात आशीर्वाद से हर कोई वाकिफ है, लेकिन वीरभद्र सिंह के पास एक ऐसा भी गॉड गिफ्ट था जिससे वह अपने विरोधियों को पस्त कर दिया करते थे. दरअसल वीरभद्र सिंह जनसभाओं में अपनी थकान मिटाने के लिए अक्सर नींद की झपकी ले लिया करते. कई कार्यक्रमों में वह सो जाते थे. आसपास खड़े लोगों को ऐसा लगता था कि वीरभद्र सिंह अब सो गए और कुछ नहीं सुन रहे.
प्रोटोकॉल के मुताबिक अंत में जब वीरभद्र सिंह का मुख्य भाषण होता, तो वह ऐसा भाषण दिया करते जिससे हर कोई हैरान रह जाता था. लोगों के मन में यह सवाल रह-रहकर उठता था कि वीरभद्र सिंह तो पूरी जनसभा के दौरान झपकी ले रहे थे, तो फिर आखिर वीरभद्र सिंह ने कैसे हर पॉइंट को अपने भाषण में शामिल कर लिया.
सोते वक्त भी सब सुन लिया करते थे वीरभद्र सिंह!
वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अक्सर अपने विरोधियों को पस्त करने के लिए इस खास 'गॉड गिफ्ट' का इस्तेमाल किया करते थे. संजीव शर्मा कहते हैं कि वीरभद्र सिंह सोकर भी अपने आसपास की बातों को सुनने की कला में निपुण थे. एक बार की बात है, जब केंद्र सरकार की ओर से मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या को सीमित करने का कानून बनाया गया. इसके बाद हिमाचल प्रदेश सरकार को भी चार मंत्रियों को हटाना पड़ा. विधानसभा सत्र के दौरान पूर्व मंत्री हो चुके एक नेता ने अपना दर्द बयां किया. इस दौरान भी वीरभद्र सिंह सदन में झपकी ले रहे थे.
सदन में भी झपकी ले लेते थे वीरभद्र सिंह
वीरभद्र सिंह की झपकी पर नेता ने कहा कि उन्होंने दिन-रात एक कर काम किया, लेकिन वीरभद्र सिंह तो उनकी बात सुनने की बजाय सो रहे हैं. इसके बाद इस चर्चा में दो-तीन और विधानसभा के सदस्यों ने हिस्सा लिया. बारी जब वीरभद्र सिंह की आई, तो वीरभद्र सिंह ने ऐसा जवाब दिया जिससे पूर्व मंत्री महोदय निःशब्द रह गए. वीरभद्र सिंह ने सिलसिलेवार एक-एक बात का जवाब देकर सदन में अपने विरोधियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर वीरभद्र सिंह ने झपकी लेते-लेते सभी बातों को नोट कैसे कर लिया.
सत महाजन को बिना कुछ कहे दिया जवाब
एक अन्य दिलचस्प किस्सा राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा हुआ है. कुछ पत्रकार तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पास बयान लेने के लिए पहुंचे थे. वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा के साथ अन्य पत्रकार भी मौजूद थे. वीरभद्र सिंह ने बयान देने से पहले सभी के लिए चाय मंगवाई. तभी वहां कैबिनेट मंत्री सत महाजन पहुंचे. सत महाजन ने वीरभद्र सिंह से आग्रह किया कि वे जल्दी कुछ कागजों पर साइन कर दें. क्योंकि उन्हें कार्यक्रम में जाने के लिए देर हो रही है. वीरभद्र सिंह ने पेन निकाला और कागज को पढ़ने लगे. वीरभद्र सिंह ने एक-एक लाइन को ध्यानपूर्वक पढ़ रहे थे.
कागज के अंतिम अक्षरों तक आते-आते वीरभद्र सिंह ने नींद की झपकी ले ली. मौके पर मौजूद पत्रकार और कैबिनेट मंत्री सत महाजन वीरभद्र सिंह को देखते रहे. करीब एक मिनट इंतजार करने के बाद वीरभद्र सिंह अचानक उठे. वीरभद्र सिंह ने कहा- 'आइए, महाजन साहब! आइए बैठ जाइए. अरे भाई! महाजन साहब को जूस पिलाइए.' इसके बाद वीरभद्र सिंह ने कागज को बाईं तरफ और पेन को दाईं तरफ रख दिया. महाजन को मजबूरन जूस पी कर वहां से जाना पड़ा. मौके पर मौजूद पत्रकार समझ गए वीरभद्र सिंह उनका काम नहीं करना चाहते. क्योंकि उन दिनों दोनों नेताओं के बीच कुछ सियासी खटपट भी चल रही थी.
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