Rajyasabha Elections 2024: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट के लिए हुए चुनाव के बाद राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है. 27 फरवरी को हुए चुनाव में जब अल्पमत में होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हर्ष महाजन ने जीत हासिल की, तो इससे कांग्रेस सरकार की जड़ें हिल गई. कांग्रेस के अपने ही विधायकों ने सरकार के खिलाफ जाकर क्रॉस वोटिंग कर हर्ष महाजन को जीत दिलवा दी.


हिमाचल प्रदेश की राजनीति में 40 साल का लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले हर्ष महाजन की पहचान एक राजनीतिक प्रबंधन के तौर पर है. 14 फरवरी को राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन का आखिरी दिन था. 13 फरवरी की शाम तक भारतीय जनता पार्टी का राज्य नेतृत्व यह कह रहा था कि वह किसी को चुनाव में नहीं उतर रहे हैं, लेकिन फिर अचानक 14 फरवरी की सुबह खबर आई कि हर्ष महाजन राज्यसभा का चुनाव लड़ेंगे. अचानक महाजन के चुनाव लड़ने की खबर सुनकर ऐसा लगा कि यह फैसला आखिरी चंद घंटों में लिया गया होगा.


नामांकन से 10 दिन पहले ही मिल गया था सीक्रेट एनवेलप


जिस फैसले को आखिरी वक्त में लिया गया बता रहा है. दरअसल, उसकी रणनीति फरवरी महीने की शुरुआत में ही तैयार हो चुकी थी. भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की एक सीट के लिए अपने प्रत्याशी का नाम अन्य राज्यों के प्रत्याशियों की तरह प्रेस विज्ञप्ति के जरिए सार्वजनिक नहीं किया. भारतीय जनता पार्टी के ही पुख्ता सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली से हिमाचल प्रदेश के संगठन मंत्री को नामांकन से 10 दिन पहले ही एक सीक्रेट लिफाफे में हर्ष महाजन का नाम राज्यसभा चुनाव के लिए मिल गया था. संगठन मंत्री ने भी इसका खुलासा आखिरी वक्त में राज्य के नेतृत्व के साथ किया और फिर हर्ष महाजन ने राज्यसभा का चुनाव लड़ा.


महाजन के प्रबंधन ने खोली नाराजगी की परतें


हर्ष महाजन के चुनाव लड़ने को शुरुआत में केवल दबाव की राजनीति माना जा रहा था, लेकिन जैसे-जैसे हर्ष महाजन प्रबंधन करते चले गए. वैसे-वैसे कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजे की परतें खुलती चली गई. हर्ष महाजन ने कांग्रेस के नौ विधायकों से संपर्क साध लिया था. इसमें सुक्खू सरकार के ही एक मंत्री ने हर्ष महाजन का भरपूर साथ दिया. इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायक भी लगातार उनके संपर्क में थे. हालांकि आखिरी वक्त में कांग्रेस के छह ही विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की हर्ष महाजन ने उन सभी कांग्रेस विधायकों के साथ संपर्क साधा, जो अपनी ही सरकार से का से नाराज थे. हर्ष महाजन का यह प्रबंधन उनके लिए संजीवनी साबित हुआ और अल्पमत में होने के बावजूद जीत के साथ भाजपा प्रत्याशी महाजन का हर्ष बढ़ गया. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद सरकार के सामने जो संकट पैदा हुआ है, वह अब भी बरकरार है.


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