Himachal Pradesh News: प्राकृतिक वजह से क्षतिग्रस्त होने वाले पेड़ों के निस्तारण (Disposal of Trees) में अमूमन वन विभाग की ओर से खासी देरी होती है. इसकी वजह से प्रदेश सरकार को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है. अब हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार इसे लेकर सख्त हो गई है. सरकार ने पेड़ों के बचाव और उनके समुचित प्रबंधन के लिए नई SOP (Standard Operating Procedure) तैयार कर दी है. इसमें ऐसे पेड़ों के कटान से लेकर बिक्री तक समय पर काम करने के लिए कहा गया है. साथ ही सरकार ने जल्द से जल्द काम पूरा करने पर विशेष ध्यान देने के लिए भी सख्त निर्देश जारी किए हैं.


पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हो रही है शुरुआत


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह का कहना है कि वनों में प्राकृतिक वजह से क्षतिग्रस्त होने वाले पेड़ों के निपटान और बिक्री में देरी की वजह से प्रदेश सरकार को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. नई एसओपी से स्थानीय स्तर पर इमारती लकड़ी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. साथ ही परिवहन व्यय में कमी, राजस्व में बढ़ोतरी और स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों की क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी. शुरुआत में इस एसओपी को चार सर्कल में लागू किया जा रहा है. इनमें हमीरपुर, धर्मशाला, सोलन और शिमला के पांच वन मंडल के अंतर्गत आने वाले साथ वन परिक्षेत्र हैं. इसे एक सितंबर से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा. अगले साल यानी साल 2024 के जुलाई में प्रदेश के छह वन वृत्ति के 70 वन परिक्षेत्र में इसके विस्तारण की योजना है.


क्या है नई SOP?


हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत किसी वन परिक्षेत्र में 25 से कम क्षतिग्रस्त पेड़ों को निपटने के लिए समयसारणी तैयार की गई है. इसमें पेड़ों को चिन्हित करने से लेकर इसके निपटान के लिए 30 दिन का समय तय किया गया है. महीने के पहले सात दिन में फॉरेस्ट गार्ड और वन निगम के कर्मचारी आपसी सहयोग से इसका ब्यौरा तैयार करेंगे. इसके बाद आने वाले तीन दिनों में उप वन परिक्षेत्र अधिकारी ऐसे पेड़ों को चिन्हित करेंगे और सूची को वनपरिक्षेत्र अधिकारी को सौंप देंगे. इसके बाद वन परिक्षेत्र अधिकारी सात दिन के अंदर पेड़ काटने के साथ इन्हें लट्ठों में बदलने और डिपो तक उत्पादक के परिवहन से संबंधित प्रक्रिया को पूरा करेंगे. यह सब पहले से ही निर्धारित दरों पर ही पूरी होगी. वन परिक्षेत्र अधिकारी वन मंडल अधिकारी को सूचित करेगा और हर महीने की 22 और 23 तारीख को वन निगम में अपने समवर्ती से संपर्क कर इस बारे में जानकारी देगा.


अधिकारियों को समय पर पूरा करना होगा काम


इसके साथ ही वन मंडल अधिकारी रॉयल्टी के आधार पर बिल तैयार करेगा और वन मंडल अधिकारी को भेजेगा. वन निगम के मंडलीय प्रबंधक को भेजेगा. बिल की अदायगी हर महीने की 24 से 26 तारीख को होगी. यदि वन निगम इसे लेने से मना करता है, तो वन परिक्षेत्र अधिकारी हर महीने की 27 और 28 तारीख को विभागीय स्तर पर नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर देगा. इसके लिए हिमाचल प्रदेश वन विभाग के प्रबंध विंग की ओर से आरक्षित मूल्य को निर्धारित किया जाएगा. नई स्टैंडर्ड प्रोसेसिंग जल्द पेड़ों का निस्तारण होगा और साथ ही सरकार को हो रहा आर्थिक नुकसान भी कम हो सकेगा.


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