Himachal News: जल शक्ति विभाग ने तैनात 1571 कर्मियों की गई नौकरी, गुस्से में बोले- 'सरकार को आत्महत्या...'
हिमाचल जल शक्ति विभाग में तैनात 1571 आउटसोर्स कर्मियों को सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इसके विरोध में कर्मचारियों ने शिमला में प्रदर्शन किया. सरकार से अपनी सेवाएं बहाल करने की मांग उठाई.
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Outsource Job in Himachal: हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मियों की नौकरी जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. जल शक्ति विभाग में आउट सोर्स आधार पर काम कर रहे 1 हजार 571 कर्मचारियों को सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अब यह निकले गए पार्ट टाइम कर्मचारी सरकार से अपनी नौकरी बहाली की मांग उठा रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर कर्मचारियों ने शिमला उपायुक्त कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. कर्मचारियों की मांग है कि जल शक्ति विभाग इन कर्मचारियों की सेवाओं को बहाल करे और सालों से सरकार की सेवा कर रहे कर्मचारियों के लिए एक स्थाई नीति तैयार करे.
आखिर नीति क्यों नहीं का रही सरकार?
पहले भी कर्मचारियों ने 15 अप्रैल 2022 को तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात कर आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति तैयार करने की मांग उठाई थी. हालांकि सरकार ने उस वक्त आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति तैयार करने की बात कही, लेकिन इस मामले में कुछ हो नहीं सका. अब स्थाई नीति न होने की वजह से आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. नौकरी से निकाले गए इन कर्मचारियों का गुस्सा कुछ इस कदर फूटा कि वे मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वीआईपी कल्चर पर भी हमलावर नजर आए. प्रदर्शन कर रहे कर्मचारी कर्मचारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री के काफिले में ही करोड़ों रुपए की गाड़ियां चलती है, लेकिन जल शक्ति विभाग के इन कर्मचारियों को वेतन देने के लिए सरकार के पास सिर्फ तीन हजार रुपए नहीं है. ऐसे में सरकार को भी यह सोचना चाहिए कि आखिर बेरोजगारों के साथ ऐसा अन्याय क्यों किया जा रहा है?
टेंडर खत्म होने के बाद भी तीन महीने तक किया काम
वहीं, वर्कर यूनियन के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि कर्मचारी बीते पांच साल से लेकर 12 साल तक पार्टटाइम आउटसोर्स वर्कर के तौर पर काम कर रहे हैं. इन कर्मचारियों को केवल तीन हजार से लेकर तीन हजार 500 प्रति माह वेतन मिलता है. 30 दिसंबर 2022 को कंपनी का टेंडर खत्म हो गया. बावजूद इसके कंपनी ने विभाग को 3 महीने अतिरिक्त सेवाएं दिलवाने का काम किया. फिर भी अब कर्मचारियों का टेंडर आगे नहीं किया गया. सभी कर्मचारियों ने कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया. सरकार ने कर्मचारियों को जिस तरह काम करने के लिए कहा, कर्मचारी ने सभी काम किए. लेकिन, अब कर्मचारियों को इस तरह नौकरी से बाहर कर देना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है. विभाग में कई ऐसे भी कर्मचारी थे, जिनके घर-परिवार का गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में सरकार को जलशक्ति विभाग में काम करने वाले इन आउटसोर्स पार्टटाइम वर्कर के लिए स्थाई नीति के बारे में विचार करना चाहिए.
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