Cannabis Farming in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही के नौवें दिन राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत की. यह रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश में भांग के औषधीय और इंडस्ट्रियल इस्तेमाल की मंजूरी से जुड़ी हुई है.


राजस्व मंत्री ने नियंत्रित वातावरण में औद्योगिक, वैज्ञानिक और औषधीय प्रयोजनों के लिए भांग की खेती को वैध बनाने से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें देने के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित समिति की रिपोर्ट पेश की. 10 सदस्यों की इस कमेटी ने कई महत्वपूर्ण सिफारिश की हैं. आने वाले वक्त में इससे हिमाचल प्रदेश की आय वृद्धि का दावा किया जा रहा है.


क्या हैं कमेटी की सिफारिशें?


राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी की सिफारिश के मुताबिक, एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 10 के तहत राज्य सरकार को प्रदत शक्तियों के आधार पर नियंत्रित वातावरण में औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की खेती, उत्पादन, निर्माण, कब्जा, परिवहन, आयात-निर्यात, बिक्री, खरीद खपत या भांग (चरस को छोड़कर) की खेती की अनुमति, नियंत्रण और विनियमन के लिए हिमाचल प्रदेश एनडीपीएस नियम, 1989 में संशोधन किया जाएगा.


एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 14 के तहत केवल फाइबर या बीज प्राप्त करने या बागवानी और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की अनुमति देने के लिए कुछ शर्तों के अधीन एक सामान्य या विशेष आदेश पारित किया जाना चाहिए.


राज्यस्तरीय प्राधिकरण स्थापित करने की सिफारिश


इसके साथ ही खेती से लेकर उत्पादों के निर्माण की प्रक्रियाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं विकसित की जाएगी. एक राज्यस्तरीय प्राधिकरण (State Level Tribunal) का गठन किया जाएगा, जो गैर-मादक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को विनियमित करने में शामिल प्रक्रियाओं (बीज बैंक की स्थापना, बीज वितरण, उपज की खरीद और औद्योगिक और फार्मा इकाइयों की स्थापना) के संबंध में निर्णय लेने के लिए एकल खिड़की प्रणाली की सुविधा देगा.


विशेष कर्मचारी उपलब्ध करवाने की भी सिफारिश


कृषि/बागवानी विभाग द्वारा अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञ और विश्वविद्यालयों के समन्वय से बीज बैंक विकसित किए जा सकते हैं.  चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर और डॉ.वाई.एस. परमार विश्वविद्यालय, नौणी की सेवाओं का उपयोग कर अनुसंधान एवं विकास तकनीक विकसित की जा सकती है.


भूमि की जियो टैगिंग राजस्व, आईटी और पर्यावरण, विज्ञान प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा की जाएगी. इसके अलावा आय का कुछ प्रतिशत अनुसंधान और विकास, जागरूकता अभियान और क्षमता निर्माण अभ्यास के लिए अलग रखा जाना चाहिए. अतिरिक्त काम करने के लिए राज्य आबकारी और कराधान विभाग को मौजूदा संख्या से अधिक विशेष कर्मचारी उपलब्ध कराए जाए.


26 अप्रैल, 2023 को हुआ था समिति का गठन 


बता दें कि इसके लिए राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में 26 अप्रैल, 2023 को समिति का गठन हुआ था. इस समिति ने राज्य में भांग के औषधीय, वैज्ञानिक और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए कैनाबिस की खेती को वैध बनाने के मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए किया था. कमेटी के गठित होने के बाद हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, चंबा, मंडी, कुल्लू, सोलन और सिरमौर जिला का दौरा किया गया. इन सभी जिलों में बैठकर भी हुई इसके अलावा कमेटी ने विभिन्न राज्यों में काफी दौरा किया. इनमें उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और केंद्र शासित जम्मू शामिल था. कमेटी की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट 19 सितंबर 2023 को सदन के समक्ष प्रस्तुत कर दी गई थी.


10 सदस्यों वाली कमेटी का गठन


भांग की खेती को औषधीय इस्तेमाल के लिए लीगल करने के लिए 10 सदस्य कमेटी का गठन किया गया था. इसकी अध्यक्षता राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी कर रहे थे. इसके अलावा इस कमेटी में मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव मोहनलाल ब्राक्टा, विधायक हंसराज, विधायक जनक राज, विधायक पूर्ण चंद ठाकुर, विधायक सुरेंद्र शौरी, विधायक केवल सिंह पठानिया, अधिवक्ता देवन खन्ना और राज्य कर एवं आबकारी के प्रशासनिक अतिरिक्त आयुक्त शामिल थे.



शुरुआत में 400 से 500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त


 

कमेटी का मानना है कि हिमाचल प्रदेश औषधीय और वैज्ञानिक प्रगति के लिए भांग की क्षमता का एहसास करने के लिए इस क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित कर सकता है. कानूनी और विनियमित गतिविधियों को बढ़ावा देकर राज्य गैर कानूनी ड्रग डीलरों के प्रभाव को कम कर सकता है.

 

विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वैध आर्थिक अवसर दे सकता है. इससे अवैध दवा बाजार द्वारा उत्पन्न समस्या से निपटने में मदद मिलेगी. मांग उत्पादों के विकास से राजस्व के अतिरिक्त स्त्रोत सृजित होंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.

 

युवाओं विशेषकर ग्रामीण लोगों के लिए रोजगार के मौके बढ़ेंगे और राज्य से युवाओं का प्रवास भी कम होगा. यह उम्मीद की जाती है कि राज्य में भांग की खेती के वैधीकरण के सफल कार्यान्वयन से शुरुआती सालों में 400 से 500 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त होगा. बाद में इसकी वृद्धि होने की भी पूर्ण संभावना है.