हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी (BJP) ने मिशन रिपीट (Mission Repeat) का नारा दिया था. हालांकि 25 सीटों पर सिमट कर ही बीजेपी को संतोष करना पड़ा और मिशन रिपीट का सपना अधूरा रह गया. अप्रैल (April) महीने में नगर निगम (Municipal corporation) शिमला के चुनाव भी संभावित हैं. इन चुनावों में बीजेपी विधानसभा चुनाव में अधूरे रहे मिशन रिपीट के सपने को साकार करना चाह रही है. इसे लेकर बीजेपी ने रणनीति भी तैयार कर ली है. हालांकि विपक्ष में होने की वजह से बीजेपी के लिए यह रण आसान नहीं रहने वाला है.


कांग्रेस ने जिला शिमला को दिया है अधिक मान
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में जिला शिमला को पूर्ण अधिमान दिया गया है. जिला शिमला से अनिरुद्ध सिंह और विक्रमादित्य सिंह को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है. इसके अलावा मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान को भी कैबिनेट रैंक से नवाजा गया है. 


बीजेपी के लिए आसान नहीं होगी राह
रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखने वाले मोहन लाल ब्राक्टा को भी सरकार में सीपीएस की जिम्मेदारी मिली है. ऐसे में जिला शिमला को मिले भारी-भरकम अधिमान के बाद नगर निगम शिमला की लड़ाई बीजेपी के लिए आसान नहीं रहने वाली है. प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए भी यह चुनाव चुनौती वाले रहने वाले हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री ने भी पूरी कैबिनेट शिमला में उतार कर चुनाव जीतने की तैयारी कर रखी है.


बीजेपी ने तैयार की मिशन रिपीट की योजना
नगर निगम शिमला में मिशन रिपीट का सपना साकार करने के लिए बीजेपी ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है. बीजेपी कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर एक्टिव होने के साथ नए वोटरों को अपने साथ जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं. बीते पांच साल में किए गए कामों को लेकर भी जनता के बीच में जाने के लिए कहा गया है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र भी बीजेपी के हाथ से चली गई. ऐसे में बीजेपी इन चुनौतियों के बीच नगर निगम शिमला का मिशन रिपीट करने के लिए रण में उतरने जा रही है. साल 2017 से लेकर साल 2022 तक नगर निगम शिमला पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है.


बेहद खास हैं 2023 के नगर निगम चुनाव
साल 2023 में होने वाले नगर निगम चुनाव अपने आप में बेहद खास रहने वाले हैं. यह पहली बार है, जब विधानसभा चुनाव के बाद नगर निगम चुनाव हो रहे हैं. इससे पहले विधानसभा चुनावों से पहले ही नगर निगम चुनाव निपट जाया करते थे. मामला कोर्ट में होने की वजह से चुनाव एक साल तक टल गए. 


बीजेपी में गुटबाजी ​बड़ी समस्या
इस बार नगर निगम शिमला के चुनाव में न केवल शिमला के मुद्दे उठेंगे बल्कि बीजेपी प्रदेश स्तर के मुद्दों को नगर निगम चुनाव में उतारने का काम करेगी ताकि सरकार को घेरा जा सके. बीजेपी के लिए नगर निगम शिमला की राह आसान नहीं रहने वाली है, क्योंकि बीजेपी के सामने अंदरूनी गुटबाजी की भी बड़ी समस्या है.


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