Himachal Assembly Winter Session: संसद या राज्य के विधानसभाओं में ऐसा मौका कम ही आता है, जब पक्ष-विपक्ष के विधायक सदस्य एकजुट होकर किसी बात का समर्थन कर रहे हों. ऐसा ही दुर्लभ मौका हिमाचल प्रदेश विधानसभा में आया. पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्य विधायकों की गाड़ी में झड़ी लगाने को लेकर एकजुट नजर आए. विधायकों का मत था कि वह 'माननीय' हैं तो गाड़ी में झंडी लगी ही होनी चाहिए, ताकि दूर से पता चले कि वह वीआईपी हैं. जब मुख्य सचिव, डीसी और अन्य अधिकारियों की कार में फ्लैग लगे हैं, तो विधायकों की गाड़ी बिना फ्लैग के आखिर क्यों रहे?


त्रिलोक जम्वाल ने सदन में उठाया मामला


पहली बार विधायक बने त्रिलोक जम्वाल ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन की कार्यवाही के दौरान यह मामला उठाया. जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कानूनी पहलुओं पर जांच विचार करने के बाद इस पर फैसला होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर कानूनी प्रावधानों का अध्ययन जरूरी है. ऐसे में जल्दबाजी सही नहीं हो.


पहले भी कई बार उठाई जा चुकी है मांग


त्रिलोक जम्वाल ने यह मामला प्वाइंट आफ ऑर्डर के तहत बजट सत्र के दौरान भी उठाया थ. तब सत्तापक्ष के सदस्य भवानी सिंह पठानिया और सुरेश कुमार के चालान का चक्र भी किया गया था. इससे पहले 13वीं विधानसभा में भी वरिष्ठ विधायक रहे राम लाल ठाकुर यह मामला उठा चुके हैं. विधायक रहे राम लाल ठाकुर ने कहा था कि झंडी न होने की वजह से उनकी गाड़ी को ट्रक ड्राइवर पास ही नहीं देते हैं.


बजट सत्र के बाद GAD को भेजा गया था पत्र


विपक्ष के सदस्य त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि बजट सत्र के दौरान जब हम मामला उठा था, तब एक कमेटी बनी थी. स्पीकर की अध्यक्षता में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा के बाद विधानसभा सचिवालय ने 6 अप्रैल को सचिवालय के सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेजा था. इस पत्र का  मर्म यही था कि विधायकों के वहां की पहचान अलग से होनी चाहिए, ताकि किसी प्रकार की अवमानना का सामना न करना पड़े. इस पत्र के बावजूद अब तक कोई परिणाम देखने को नहीं मिला है. जम्वाल ने कहा कि एसएचओ विधायक की गाड़ी रोककर पूछता है कि कागजात कहां हैं? पुलिस वाले तो कभी-कभी यह भी पूछ लेते हैं कि आप विधायक हो भी या नहीं? त्रिलोक जम्वाल के इस प्रस्ताव का समर्थन कांग्रेस विधायक केवल सिंह पठानिया ने किया.


'विधायकों को नहीं, तो अधिकारियों को झंडी क्यों? 


इसके बाद राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि अगर विधायकों को डिस्टिंक्टिव फ्लैग नहीं दिए जाते हैं, तो अन्य अफसर के फ्लैग भी उतारे जाने चाहिए. इसके बाद भाजपा विधायक विनोद कुमार ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि प्रोटोकॉल के तहत विधायक का दर्जा मुख्य सचिव से ऊपर है. लेकिन, मुख्य सचिव से लेकर डीसी, एसपी और जिला परिषद अध्यक्ष तो गाड़ी पर फ्लैग लगा सकते हैं, लेकिन विधायक नहीं.


सरकार से ऑथराइजेशन आना बाकी


उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भी इस मुद्दे का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि यह मामला लंबे अरसे से अटका हुआ है. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि इस बारे में सरकार से ऑथराइजेशन आना बाकी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व जय राम सरकार के वक्त भी इस मामले में अड़चन आई थीं. इस मामले में विस्तार से विचार कर विधानसभा अध्यक्ष और सभी माननीयों को अवगत करवाया जाएगा.


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