Himachal Floods: शिमला लैंडस्लाइड के बाद Fake News का बाजार गर्म, गलत जानकारी मिलने से लोगों में डर का माहौल
Shimla: हिमाचल आपदा के दौर से गुजर रहा है. इस बीच इंटरनेट मीडिया पर अफवाहें भी खूब दौड़ रही हैं. बिना पुख्ता जानकारी शेयरिंग खतरनाक साबित हो सकती है.
Himachal Floods: इस आधुनिक युग में सूचना तंत्र बेहद तेज हो चुका है. इस तंत्र में जितनी तेजी है, उतनी ही विश्वसनीयता की कमी भी नजर आती है. ऐसे में आपदा के बीच सूचना का आदान-प्रदान कई गुना ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. एक छोटी-सी गलत जानकारी भी खतरनाक साबित हो सकती है. हिमाचल प्रदेश में भी आपदा के बीच गलत सूचना तंत्र खूब हावी होता नजर आ रहा है, जिससे बचने की जरूरत है.
आपदा में तेजी से फैलती है अफवाह
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 13-14 अगस्त के दरमियानी रात जोरदार बारिश हुई. जोरदार बारिश ने शिमला शहर में जमकर तबाही मचाई. सबसे पहली घटना फागली इलाके से सामने आई. यहां करीब पांच घर भूस्खलन की चपेट में आ गए थे और 13 लोग इसमें फंसे थे, लेकिन शुरुआती जानकारी जब निकलकर सामने आई तो घरों की संख्या 20 के पार और मलबे में दबे लोगों की संख्या को 50 से ज्यादा बताया गया. मौके पर जब जवान पहुंचे, तो पता चला कि यहां इतनी अधिक संख्या में लोग मलबे में नहीं दबे हैं. इसी तरह शिमला के समरहिल में भी जब शिव मंदिर में भूस्खलन की घटना सामने आई, तब यहां 100 से ज्यादा लोगों की जानकारी आई. बाद में यह जानकारी अफवाह मात्र निकली.
IIAS के टैंक लीक होने की अफवाह
समहिल के शिव बावड़ी में हुए भूस्खलन की एक खबर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी के टैंक लीक से जोड़कर भी बताई गई. सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की गई कि शिव बावड़ी में हुई तबाही बारिश की वजह से नहीं बल्कि एडवांस स्टडी में बने ब्रिटिश शासनकाल के एक टैंक में लीकेज की वजह से हुई. हालांकि, बाद में पता चला कि टैंक में न तो ज्यादा पानी है और यह टैंक अभी पूरी तरह सुरक्षित है. यहां से कोई लीकेज नहीं हो रही है.
जानकारी साझा करने से पहले क्या करें?
ऐसे में सही जानकारी हासिल करने के लिए सबसे पहले धैर्य और संयम जरूरी है. जल्दबाजी में जानकारी हासिल करने की दौड़ अक्सर गलत ही साबित होती है. इन दिनों सोशल मीडिया पर स्थानीय पुलिस के साथ प्रशासन भी खास एक्टिव है. सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर भी विश्वसनीय जानकारी मिल जाती है. यूजर के लिए यह भी बेहद जरूरी है कि वह जिस जानकारी को सोशल मीडिया पर साझा कर रहा है, उसकी पहले विश्वासनियता जांच ले. यूजर सोशल मीडिया पर जो देखता या पढ़ता है, उसे आसपास के लोगों को भी बताता है. इसी तरह छोटा सा झूठ या शुरुआती अशंका बड़ी अफवाह का रूप ले लेती है. यही अफवाह आपदा में खतरनाक साबित होती है.
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