हिमाचल के मंत्री राजेश धर्माणी के बयान पर चढ़ा सियासी पारा, बीजेपी ने सीएम सुक्खू से मांगा इस्तीफा, जानें मामला
Himachal Politics: राज्य सरकार और कर्मचारियों की लड़ाई के बीच बीजेपी की एंट्री हुई है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने मंत्री राजेश धर्माणी के हालिया बयान का जिक्र कर गंभीर आरोप लगाए हैं.
Himachal Pradesh News Today: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार और कर्मचारी सचिवालय कर्मचारी सेवाएं महासंघ के बीच इन दिनों ठनी हुई है. यह सीधी लड़ाई लंबित डीए और एरियर को जारी करने की मांग पर छिड़ी है.
कर्मचारी महासंघ सीधे तौर पर राज्य सरकार को फिजूलखर्ची के लिए दोषी ठहरा रहा है और साथ ही अपने देनदारी के भुगतान की मांग भी कर रहा है. इस बीच कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी का बयान आया, तो कर्मचारियों ने उनके खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया.
हिमाचल की राजनीति में राजेश धर्माणी की पहचान एक ईमानदार और स्पष्टवादी नेता के तौर पर है. इस सबके बीच अब लंबी खींचतान में विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी की भी एंट्री हो गई है.
बीजेपी ने मांगा राजेश धर्माणी का इस्तीफा
हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मांग की है कि वे तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी को अपने कैबिनेट से बर्खास्त करें. राजीव बिंदल ने कहा, "सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार के मंत्री ने खुली घोषणा की है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी काम करना चाहता है, तो उसे कांग्रेस सरकार के पीछे खड़ा रहना होगा."
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने आरोप लगाते हुए कहा, "उन्होंने कहा कि अगर वे सरकार के पीछे खड़ा नहीं रहते हैं, तो उन्हें मिलने वाला वेतन और अन्य लाभ को बंद कर दिया जाएगा." उन्होंने कहा, "इससे स्पष्ट होता है कि सरकार के मंत्री ने प्रदेश के कर्मचारियों को खुले तौर पर धमकाया है."
डॉक्टर राजीव बिंदल ने कहा कि "अगर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस बात से सहमत हैं, तो वह जनता को बता दें. अगर ऐसा नहीं है, तो उन्हें अपने मंत्री को त्वरित प्रभाव से बर्खास्त कर देना चाहिए."
क्या है पूरा मामला?
बता दें, हिमाचल प्रदेश सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कर्मचारियों की मांग पर मीडिया से बातचीत में कहा था कि राज्य सरकार के वित्तीय स्थिति खराब है. राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को हर लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके वे हकदार हैं.
साथ ही उन्होंने राज्य की खराब आर्थिक स्थिति का भी हवाला दिया था. राजेश धर्माणी ने कहा था कि "हमारे पास सीमित विकल्प हैं. कर्मचारियों को यह सोचना होगा कि अगर वह मौजूदा वक्त में मिल रहे फायदे चाहते हैं, तो उन्हें सरकार के साथ खड़ा रहना होगा."
राजेश धर्माणी ने कहा था कि "अगर वे चाहते हैं कि आने वाले वक्त में उसमें भी कटौती हो, तो उसका भी सामना करना पड़ेगा. हर चीज पैसे से जुड़ी हुई है और किसी भी राज्य सरकार को नोट छापने की अनुमति नहीं है." उन्होंने कहा, "जितना पैसा हमारे अकाउंट में आएगा, हम उतना ही खर्च कर सकते हैं."
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा था कि "हमारी सरकार संसाधन बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ी है, ऐसे में कर्मचारी नेताओं को अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए." उन्होंने कहा, "यह प्रदेश कर्मचारियों का भी है और उन्हें भी जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए."
सचिवालय कर्मचारी महासंघ ने किया धर्माणी का विरोध
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी के इस बयान के बाद हिमाचल प्रदेश कर्मचारी सेवाएं महासंघ भड़क गया था. उन्होंने राजेश धर्माणी के खिलाफ जनरल हाउस में मोर्चा खोल दिया. मंच से ही राजेश धर्माणी को खुली चुनौती दी गई.
सचिवालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने तो राजेश धर्माणी को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर बिलासपुर जिला से बाहर निकलकर चुनाव लड़ने तक के लिए कहा और अपने भत्तों में कटौती करने तक की बात कही.
इस पर राजेश धर्माणी का भी बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया. हालांकि वे अपने भत्तों पर 50 फीसदी तक कट लगाने के लिए तैयार हैं, तो कर्मचारी बताएं कि क्या वे भी खुद ऐसा करने के लिए तैयार हैं या नहीं.
ये भी पढ़ें: सुक्खू सरकार से अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की दो टूक, कहा- 'दीपावली तक हर हाल में...'