Himachal Pradesh Financial Crisis: अपनी विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए हिमाचल सरकार पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर होती नजर आ रही है. कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश में आने वाला वक्त मुश्किलों से भरा रहने वाला है.
हिमाचल प्रदेश सरकार कर्ज के जाल में फंस चुकी है. अब राज्य सरकार एक बार फिर 500 करोड़ रुपये का लोन लेने जा रही हैं. ये लोन ओपन मार्केट से लिया जाएगा. प्रदेश में कर्ज लेने की रफ्तार लगातार बढ़ती ही चली जा रही है.
लोन लेने की लिमिट तय होती है
वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक राज्य सरकार 2 हजार 900 करोड़ रुपये का लोन ले चुकी हैं. अब नए 500 करोड़ रुपये को लोन के तौर पर लेने के बाद ये आंकड़ा 3 हजार 400 करोड़ पर पहुंच जाएगा.
राज्य सरकार के पास अप्रैल महीने से दिसंबर महीने तक की अवधि में छह हजार करोड़ रुपये की लोन लिमिट है. दिसंबर से मार्च की तिमाही के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक अलग लोन लिमिट सैंक्शन होगा. दिसंबर महीने तक राज्य सरकार 2 हजार 600 करोड़ रुपये का लोन ले सकती हैं.
42 फीसदी धन वेतन और पेंशन पर हो रहा खर्च
हिमाचल सरकार कुछ इस तरह कर्ज के जाल में फंस चुकी है कि सरकार का 42 फीसदी धन सरकारी कर्मचारियों के वेतन और रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन देने में ही खर्च हो रहा है. इसके अलावा ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने का असर भी सरकारी खजाने पर दिखना शुरू हो गया है.
राज्य सरकार को नए वेतन आयोग के भुगतान के लिए नौ हजार करोड़ रुपये भी चाहिए. ये एरियर तत्कालीन जयराम सरकार के वक्त से ही बकाया है.
राज्य सरकार पर लगातार बढ़ रहा है बोझ
बीते दिनों हिमाचल सरकार ने 16वें वित्त आयोग के सामने रिपोर्ट पेश की थी. वित्तीय मेमोरेंडम में हिमाचल सरकार ने कहा था कि नए वेतन आयोग के बाद से सरकारी कर्मचारियों के वेतन का खर्च 59 फीसदी तक बढ़ गया है.
राज्य सरकार में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है. इन्हीं दो विभागों में कर्मचारियों को सबसे ज्यादा वेतन देने पर राज्य सरकार को खर्च करना पड़ रहा है. शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों पर साल 2017-18 में 5 हजार 615 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.
हिमाचल सरकार को 16वें वित्त आयोग से उम्मीदें!
साल 2018-19 में ये बढ़कर 5 हजार 903 करोड़ रुपये हो गया. साल 2019-20 में 6 हजार 299 करोड़ और साल 2020-21 में 6 हजार 476 करोड़ रुपये का खर्च हुआ. साल 2025-26 में इस वेतन पर 9 हजार 361 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
वित्त वर्ष 2027-28 में ये खर्च 22 हजार 502 करोड़ सालाना, फिर वर्ष 2028-29 में 24 हजार 145 करोड़, वर्ष 2029-30 में 26 हजार 261 करोड़ रुपये हो जाएगा. वर्ष 2030-31 में सरकारी कर्मियों के वेतन का खर्च सालाना 28 हजार 354 करोड़ रुपये हो जाएगा.
ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए आने वाला वक्त परेशानियों से भरा रहने वाला है. आने वाले वक्त में सरकार को 16वें वित्त आयोग से मिलने वाले रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट में राहत की उम्मीद है.
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