Sukhvinder Singh Sukhu News: हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (HIPA) का नाम बदलकर देश के पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह के नाम पर करने की घोषणा की है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की है. राज्य सरकार ने देश के लिए पूर्व प्रधानमंत्री के योगदान को याद करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन अब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम से जाना जाएगा.
इसका नाम अब डॉ. मनमोहन सिंह हिमाचल प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन होगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कार्यक्रम के दौरान इसकी घोषणा की. अगली कैबिनेट की बैठक में इसे स्वीकृति मिल जाएगी. मुख्यमंत्री बुधवार को हिमाचल प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे.
पूर्व प्रधानमंत्री के योगदान को किया याद
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का देश के विकास में बड़ा योगदान रहा है. जिस वक्त देश खराब अर्थव्यवस्था का सामना कर रहा था, उस वक्त उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर भारत को आर्थिक संकट से उबारा.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि 10 साल प्रधानमंत्री के तौर पर डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के विकास की नई इबारत लिखने का काम किया. उन्होंने कहा कि उनके योगदान को याद करने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने यहां फैसला लिया है. डॉ. मनमोहन सिंह देश की जनता को छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन उनका काम जनता हमेशा याद रखेगी.
हिमाचल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का इतिहास
हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान (HIPA) की स्थापना 1 जनवरी, 1974 को हुई थी. आज इसके 50 साल पूरे हो चुके हैं. यह संस्थान शिमला से मशोबरा रोड पर लगभग 12 किलोमीटर दूर फेयर लॉन्स में है. यह संस्थान एक ऐतिहासिक इमारत में स्थित है.
शांत और मनोरम परिवेश वाले इस भवन में विशाल और शानदार लॉन हैं. इसका निर्माण मूल रूप से ब्रिटिश भारत के विदेश कार्यालय के आर. डिक्सन ने करवाया था. बाद में इसे मलेरकोटला के नवाब मुजफ्फर अली खान क्विज्जलबाश ने खरीद लिया.
साल 1947 में उनके पाकिस्तान चले जाने पर यह संपत्ति पंजाब राज्य सरकार के पास आ गई, जिसने इसे सर्किट हाउस में बदल दिया. नवंबर, 1966 में राज्यों के पुनर्गठन के समय यह संपत्ति हिमाचल प्रदेश सरकार को हस्तांतरित कर दी गई. बाद में इसे संस्थान की स्थापना के लिए चुना गया. समय के साथ यह संस्थान एक पूर्ण प्रशिक्षण संस्थान के रूप में विकसित हो गया है. इसमें वे सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो इस प्रकार के संस्थान में होनी चाहिए.
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