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CM सुक्खू ने सदन में पेश किया बिल, कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों को रेगुलर होने पर ही मिलेंगे सीनियोरिटी के वित्तीय लाभ

Himachal News: हिमाचल सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें विधेयक- 2024 पेश हुआ. इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों को रेगुलर होने पर ही सीनियोरिटी के वित्तीय लाभ मिलेंगे.

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें विधेयक- 2024 पेश किया. यह विधेयक राज्य के मामलों से संबंधित लोक सेवाओं में व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तें और उससे संबंधित या उससे जुड़े विषयों को विनियमित करने के लिए लाया गया है.

बिल के मुताबिक, संविधान का अनुच्छेद- 309 राज्य के मामलों से संबंधित लोक सेवाओं और पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने के लिए कानून बनाने का उपबंध करता है. इस विधेयक में अनुबंध के आधार पर नियुक्त सरकारी कर्मचारियों के नियमितिकरण और सीनियोरिटी लिस्ट में संशोधन से जुड़े बिंदुओं की बात कही गई है. अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए कर्मचारी, जो नियमित नहीं हुए हैं, उन्हें सीनियोरिटी से जुड़ी इन्क्रीमेंट नहीं मिलेगी. 

क्यों लाया गया है यह बिल?

सदन में पेश बिल के मुताबिक, संविधान के अनुच्छेद-309 के अधीन उपबंध राज्य के मामलों से संबंधित लोक सेवाओं और पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तें रेगुलेट करने के लिए विधि बनाने का उपबंध करता है. लोक सेवाओं के लिए नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवाओं की शर्तें नियम बनाकर विनियमित की जा रही है. संविधान के अनच्छेद 309 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बनाए गए भर्ती और पदोन्नति नियमों में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्तियां भी सम्मिलित की गई है. कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत व्यक्तियों की सेवा शर्तें पक्षकारों के बीच हुए एमओयू के तहत ही नियमित की जाती है.

सरकार की ओर से क्या कहा गया है?

इसी वजह से सरकारी कर्मचारियों को लागू विभिन्न सेवा नियन ऐसे व्यक्तियों पर लागू नहीं होते हैं. इस तरह कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त व्यक्ति लोक सेवा का भाग नहीं है. भर्ती और पदोन्नति नियमों में संविदा नियुक्तियों के आमेलन की वजह से यह नियुक्तियां लोक सेवाओं के लिए नियुक्तियों के रूप में त्रुटिपूर्ण रूप में नियुक्तियां समझी जा रही है, जो संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट पर लगाए गए व्यक्तियों के आशय और प्रयोजन के विरूद्ध है. 

लोक सेवाओं के लिए नियमित आधार पर नियुक्त व्यक्तियों और संविदा नियुक्ति पर नियुक्त व्यक्तियों के हितों में सामंजस्य बिठाना अनिवार्य हो गया है. कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त व्यक्तियों को नियमित कर्मचारियों के समरूप समझे जाने की दशा में यह न केवल राजकोष पर बहुत बड़ा बोझ पड़ेगा.

साल 2003 से की जा रही कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्तियां

बता दें कि कॉन्ट्रैक्ट नियुक्तियां साल 2003 से की जा रही है. उन्हें नियमित कर्मचारियों के समरूप समझे जाने की वजह से पिछले 21 सालों से ज्यादा समय की वरिष्ठता सुविधा को संशोधित करना होगा. अत्याधिक कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्त व्यक्तियों के समायोजन के लिए पदोन्नत करना होगा. संविदा पर नियुक्त व्यक्ति उनके लिए जाने के समय जागरूक थे कि वे संविदा सेवा की अवधि के लिए वरिष्ठता और अन्य सेवा लाभों के हकदार नहीं थे. ऐसे व्यक्तियों में इन निबंधनों और शर्तों को स्वीकार किया था और इस निमित्त करार भी हस्ताक्षरित किए थे. 

इसके अलावा बहुत से नियमित कर्मचारी पहले ही सेवा में थे और उनके पास विभाग की कार्यप्रणाली के बारे में पर्याप्त अनुभव था. इस तथ्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता, इसलिए राजकोष पर अत्याधिक बोझ को दूर करने और व्यवस्थित आस्थिति को अव्यवस्थित न करने हेतु विधेयक को लाया जाना अपेक्षित है.

हाईकोर्ट से वित्तीय लाभ देने के आदेश हुए जारी 

गौर हो कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने समय-समय पर अनुबंध अवधि को रेगुलर सेवा में गिनने और वित्तीय लाभ देने के आदेश जारी किए हैं. इससे सरकार के खजाने पर भारी आर्थिक बोझ आ रहा है. हिमाचल प्रदेश में साल 2003 में अनुबंध पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. राज्य सरकार का तर्क है कि यदि 21 साल के इस अंतराल को भी वित्तीय लाभ और प्रमोशन के लिए गिना जाएगा, तो आर्थिक बोझ बहुत अधिक हो जाएगा.

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