'हिमाचल में कर्ज कल्चर को बंद करने की जरूरत', बढ़ते लोन के बोझ के बीच CM सुक्खू का बयान
Himachal Pradesh News: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा है कि सरकार ने यह तय किया कि रूटीन की सरकार नहीं चल सकती, कर्ज कल्चर को बंद करना पड़ेगा.
Himachal Pradesh News: कमाई के कम संसाधनों वाले हिमाचल प्रदेश की गाड़ी बिना कर्ज के आगे नहीं बढ़ती. राज्य की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि कर्मचारियों को वेतन देने और रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए भी सरकार को लोन का ही सहारा लेना पड़ता है. राज्य में सरकार के पास विकास के लिए नाममात्र का ही धन बच जाता है.
1990 के दशक से हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई कर्ज लेने की प्रथा तब से लेकर अब तक अनवरत जारी है. सरकार कोई भी हो, उसे राज्य चलाने के लिए कर्ज लेना ही पड़ता है. बावजूद इसके राज्य में बढ़ते कर्ज के बोझ की राजनीति हमेशा ही प्रभावी रहती है. हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ 86 हजार करोड़ के करीब पहुंच चुका है. बढ़ते कर्ज के बोझ के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का अहम बयान सामने आया है.
कर्ज कल्चर को बंद करना पड़ेगा- CM सुक्खू
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार को खराब वित्तीय व्यवस्था तत्कालीन बीजेपी सरकार से विरासत में मिली. उन्होंने कहा कि सरकार ने यह तय किया कि रूटीन की सरकार नहीं चल सकती, कर्ज कल्चर को बंद करना पड़ेगा. सवाल यह है कि युवा पीढ़ी को क्या सौंप कर जाएंगे.
खराब वित्तीय हालात के बावजूद सरकार ने 1.36 लाख सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दी. कई बार समाज के कल्याण के लिए मुश्किल फैसले करने पड़ते हैं. सरकार मिलकर हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. सरकार पूरी मेहनत कर रही है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर फोकस
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में काम कर रही है. राज्य सरकार चाहती है कि गांव के लोगों के हाथ में भी पैसा होता कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके. उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक खेती से तैयार की गई गेहूं और मक्की की फसल क्रमशः 40 रुपये और 30 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदी जाएगी. गाय के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 32 से बढ़ाकर 45 और भैंस के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 47 से बढ़ाकर 55 रुपये किया गया है.
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बड़े बदलाव के दावे
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े बदलाव ला रही है, ताकि प्रदेश के लोगों को गुणात्मक सेवाएं मिल सकें. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई क्रांतिकारी बदलाव किए हैं. हर विधानसभा क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल खोले जा रहे हैं. प्रदेश के 850 शिक्षण संस्थानों को इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद चिकित्सा महाविद्यालय टांडा में विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारियों और अन्य स्टाफ के 462 पद के साथ आईजीएमसी शिमला व अटल मेडिकल सुपर स्पेशलिटी संस्थान चमियाणा में 489 पद भरे जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार हिमाचल प्रदेश को साल 2027 तक पटरी पर लाएगी और साल 2032 तक पूरा देश का नंबर वन राज्य बनाएगी.
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