Himachal News: देश में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए एक साल से भी कम वक्त रह गया है. जिस समय कांग्रेस को चारों सीट जीतने के लिए एकजुट होकर चुनाव में जीत हासिल करने की तैयारी करनी चाहिए, उस वक्त पर कांग्रेस के नेता अंदरूनी कलह से जूझ रहे हैं. हिमाचल कांग्रेस में रह-रहकर अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने आती रहती है. कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर मीडिया के जरिए जनता के सामने आ गई है.


'सरकार-संगठन में समन्वय नहीं'
दिल्ली में हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि सरकार-संगठन में समन्वय नहीं है. उन्होंने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में मेहनत से काम करने वाले कार्यकर्ताओं को उचित स्थान और सम्मान मिलने की पैरवी की है. इसे लेकर प्रतिभा सिंह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे से भी मुलाकात कर चुकी हैं. प्रतिभा सिंह ने कहा है कि सभी जिलों को उसका अधिकार मिलना चाहिए. यह सही है कि सभी जिलों से मंत्री नहीं बनाए जा सकते. प्रतिभा सिंह ने कहा कि बिलासपुर जिला को कांग्रेस ने कुछ नहीं दिया. कांग्रेस को कांगड़ा में भी बड़ी जीत मिली. इसके अलावा कास्ट फैक्टर को भी ध्यान में रखकर मंत्रिमंडल विस्तार किए जाने की जरूरत है.


संगठन के लोगों की एडजस्टमेंट की पैरवी
प्रतिभा सिंह ने सभी को अधिकार मिलने की पैरवी की. हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वीरभद्र सिंह के देहांत के बाद हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने आग्रह किया कि वे सांसद का चुनाव लड़े. राजीव शुक्ला ने कहा था कि वीरभद्र सिंह एक बड़ा नाम हैं. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अध्यक्ष की कमान मिली, तब भी उन्होंने कई ऐसे नेताओं को चुनाव लड़ने से रोका जो पार्टी के लिए परेशानी बढ़ा सकते थे. प्रतिभा सिंह ने कहा कि उस वक्त बगावत की ओर बढ़ रहे नेताओं को यह कहकर रोका गया था कि सरकार आने पर उनकी एडजस्टमेंट की जाएगी और उनका पूरा ध्यान रखा जाएगा. प्रतिभा सिंह ने कहा कि संगठन से सरकार बनती है और दोनों के बीच तालमेल बेहद जरूरी है.


मामले में CM सुक्खू खामोश क्यों?
हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के इस बयान के बाद सरकार और संगठन के बीच का द्वंद खुलकर सामने आ गया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से राज्य सचिवालय में इस बारे में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कोई जवाब ही नहीं दिया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की इस खामोशी के कई मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू या तो इस मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहते या उनके सियासी तरकश में बड़ा वार करने के लिए प्रभावशाली तीर तैयार हो रहा है.


CM सुक्खू की 'बॉस' क्यों हैं असंतुष्ट?
पूर्व में मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू के सियासी रिश्ते कभी भी मधुर नहीं रहे. दोनों नेताओं की तल्ख़ियां रह-रहकर सामने आती ही रहती थी. अब जब सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश के मुखिया की कमान मिली है, तब भी यह तल्खी कम होती हुई नजर नहीं आ रही. भले ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रतिभा सिंह को अपना बॉस बताते हों, लेकिन प्रतिभा सिंह खुले तौर पर अपना असंतोष जाहिर कर रही हैं. यह पहली बार नहीं है, जब प्रतिभा सिंह ने संगठन के लोगों की एडजस्टमेंट की पैरवी की हो. इससे पहले भी प्रतिभा सिंह इस तरह के बयान दे चुकी हैं. हालांकि प्रतिभा सिंह ने मलिकार्जुन खरगे से मुलाकात के दौरान जब यह बात कही, तो उन्हें क्या जवाब मिला? इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है.


क्या होगा अगर नहीं थमा यह द्वंद?
हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल में फिलहाल तीन पद खाली पड़े हुए हैं. इसके अलावा बड़े स्तर पर अलग-अलग बोर्ड और निगमों में चेयरमैन और वाइस चेयरमैन की नियुक्ति होनी है. यही नहीं, कई विभागों में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी नियुक्त किए जाने हैं. सभी नेताओं को अपनी नियुक्ति का इंतजार है और साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह एडजेस्टमेंट बेहद जरूरी भी है. कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने के साथ उनमें संतोष पैदा करने के लिए सरकार को देर-सवेर यह कदम उठाने ही होंगे. जानकारों का मानना है कि यदि सरकार और संगठन का यह द्वंद आने वाले वक्त में भी यूं ही चलता रहा, तो साल 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा.


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