Rajinder Rana Letter to CM Sukhu: हिमाचल प्रदेश की राजनीति में बीजेपी का पीढ़ी परिवर्तन करने वाले कांग्रेस विधायक राजिंदर राणा एक बार फिर सुर्खियों में हैं. सुजानपुर से विधायक राजिंदर राणा (Rajinder Rana) ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) के नाम पत्र लिखा है. 2 सितंबर को लिखे गए इस पत्र को उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी साझा किया है. इस पत्र में राजिंदर राणा ने बेरोजगारों का दर्द समझते हुए उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने की बात कही है. राणा ने पत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुभव को भी गिनवाया और साथ ही उनकी मांगों पर ध्यान देने की बात भी कही.


बेरोजगार युवाओं को सता रही भविष्य की चिंता


साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रो. प्रेम कुमार धूमल को चुनाव हराने वाले राजिंदर राणा ने अपने पत्र में लिखा कि, 'पिछले लंबे समय से भर्तियों के परिणाम रुके हुए हैं. इसकी वजह से युवा बेचैन हैं और रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं. राणा ने लिखा कि कई युवा ओवर ऐज हो रहे हैं और उन्हें भविष्य की चिंता सता रही है. विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने लगातार बेरोजगारों की पैरवी की और अब बेरोजगारों को कांग्रेस सरकार से उम्मीद है.'


इसके अलावा उन्होंने हमीरपुर स्थित हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में ईमानदार अधिकारी की नियुक्ति कर इसे दोबारा शुरू करने की भी मांग उठाई है. गौरतलब है कि, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार और पेपर लीक के आरोप के बाद बोर्ड को भंग कर दिया था. हिमाचल प्रदेश में खाली पड़े मंत्री पद की दौड़ में शामिल राजिंदर राणा ने हजारों करुणामूलक कर्मचारियों की भी आवाज बुलंद की. राणा ने याद दिलाया कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने उनकी आवाज उठाई थी. अब उनके पक्ष में फैसला किया जाना चाहिए. 


https://twitter.com/Rajinderrana999/status/1697843001874350091?t=440-tkEpfr5SgSvwGEdV0A&s=19


राणा ने बुलंद की कर्मचारियों की आवाज


राणा ने कहा कि युवाओं की नजर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर हैं. उन्होंने सहानुभूति पूर्वक इस विषय पर निर्णय लेने और भविष्य सुरक्षित करने की मांग उठाई. इसके अलावा राजिंदर राणा ने आउटसोर्स कर्मचारी के लिए भी जल्द से जल्द प्रभावी फैसला लेने की मांग उठाई है. राणा ने निजी विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री मामले में भी जल्द से जल्द फैसला लेने की बात कही है. राणा ने कहा कि पिछली सरकार इच्छाशक्ति की कमी की वजह से यह सब नहीं कर सकी और अब कांग्रेस सरकार से जनता को उम्मीद है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी कांग्रेस विधायक राजिंदर राणा के इस पत्र का दिल खोलकर समर्थन किया है.


पिछले महीने राणा ने दिया था गीता ज्ञान


गौरतलब है कि, करीब तीन हफ्ते पहले भी राजिंदर राणा ने लिखा था, जो विवादों से दूर रहते हैं, वही दिलों पर राज करते हैं. जो विवादों में उलझ जाते हैं, वे अक्सर दिलों से भी उतर जाते हैं. महाभारत का प्रसंग देखिए, पांडवों ने सिर्फ पांच गांव ही तो मांगे थे और दुर्योधन ने सुई की नोक के बराबर भी जमीन देने से इनकार कर दिया था. एक जिद ने महाभारत रच दिया. सुकून भरी जिंदगी के लिए विवादों से दूरी, है बेहद जरूरी. राणा की इसी पोस्ट पर मंत्री पद की दौड़ में शामिल विधायक सुधीर शर्मा ने भी कमेंट किया है सुधीर शर्मा ने लिखा, तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान. भीलां लूटी गोपियां, वही अर्जुन वही बाण. यानीतु लसीदास जी कहते हैं, समय ही व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ और कमजोर बनाता है. अर्जुन का वक्त बदला, तो उसीके सामने भीलों ने गोपियों को लूट लिया, जिसके गांडीव की टंकार से बड़े-बड़े योद्धा घबरा जाते थे.


राणा के मंत्री पद से दूरी की क्या वजह?


हिमाचल प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा राजिंदर राणा किसी परिचय का मोहताज नहीं है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का पीढ़ी परिवर्तन करने वाले राणा अपनी ही पार्टी के भीतर संघर्ष कर रहे हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सुजानपुर सीट से राणा ने भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रो. प्रेम कुमार धूमल को चुनाव हरा दिया था. अब जिस कांग्रेस नेता ने भारतीय जनता पार्टी को इतना बड़ा झटका दिया हो, उसी नेता की सियासत अपनी ही पार्टी में हिचकोले खा रही है. राणा की प्रतिभा सिंह कैंप के साथ दूरी भी किसी से छिपी नहीं है. जानकारों की मानें तो प्रतिभा सिंह कैंप के साथ राणा की नजदीकी ही उन्हें मंत्रिमंडल से दूर कर रही है.


क्षेत्रीय संतुलन कितना बड़ा फैक्टर?


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री दोनों ही हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से संबंध रखते हैं. राणा की भी विधानसभा इसी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है. ऐसे में क्षेत्रीय संतुलन के नाम पर भी राणा को मंत्रिमंडल से दूर रखने की कोशिश की जा रही है. इस बीच राणा के समर्थकों का सवाल यह है कि क्षेत्रीय असंतुलन तो जिला कांगड़ा में भी है. कुल 15 में से 10 सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाने वाले कांगड़ा के पास सिर्फ एक ही मंत्री पद है. प्रो. प्रेम कुमार धूमल जब मुख्यमंत्री रहे, तब उन्होंने खुद भी हमीरपुर जिला से ही ईश्वर दास धीमान को शिक्षा मंत्री बनाया. ऐसे में संतुलन को लेकर सवाल उठाना सही नहीं है.



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