Shimla Mosque: नगर निगम शिमला आयुक्त ने संजौली मस्जिद के उस हिस्से को हटाने की अनुमति दे दी है, जिसे खुद ही वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने आगे आकर हटाने की पेशकश की थी.नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत के इस फैसले का देवभूमि संघर्ष समिति ने स्वागत किया है.


देवभूमि संघर्ष समिति ने किया फैसले का स्वागत


देवभूमि संघर्ष समिति के संयोजक भरत भूषण ने कहा, ''यह फैसला स्वागत योग्य है. हालांकि अभी तक इस पूरे मामले का निपटारा नहीं हुआ है. समिति यह साफ करना चाहती है कि मस्जिद के खिलाफ आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक इस मस्जिद को पूरा तोड़ नहीं दिया जाता क्योंकि यह अवैध निर्माण है''.


उन्होंने कहा कि कोर्ट का यह फैसला देवभूमि के सनातन समाज की जीत है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा,'' देवभूमि के सनातन समाज के लाखों लोगों ने अवैध मस्जिद के खिलाफ आंदोलन किया था. इसका नतीजा यह रहा कि कोर्ट ने आज इस संबंध में फैसला सुनाया है''.


राज्य सरकार के दो मंत्रियों का आभार


देवभूमि संघर्ष समिति के संयोजक ने कहा, ''नगर निगम आयुक्त के कोर्ट की ओर से आया यह फैसला स्वागत योग्य तो जरूर है, लेकिन यह मस्जिद पूरी तरीके से ही अवैध बनी है. मस्जिद का निर्माण ही सरकारी भूमि पर हुआ है. ऐसे में इस मस्जिद को गिराया जाना चाहिए, क्योंकि यह अवैध तरीके से बनी है. देवभूमि संघर्ष समिति अब 21 दिसंबर का इंतजार कर रही है, क्योंकि मस्जिद के शेष हिस्से की सुनवाई इस दिन होनी है. देवभूमि संघर्ष समिति ने पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने अवैध प्रवासियों का मुद्दा उठाया था''.


बता दें कि इसके लिए दो महीने का वक्त दिया गया है. नगर निगम के आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कहा कि मस्जिद के तीन फ्लोर को हटाने का काम वक्फ बोर्ड की देखरेख में होगा. आयुक्त ने कहा कि मस्जिद की दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल को हटाए जाने की अनुमति दी जाती है. मस्जिद के शेष हिस्से की सुनवाई 21 दिसंबर, 2024 को होगी.


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