Himachal Pradesh Masjid Controversy: हिमाचल प्रदेश में देवभूमि संघर्ष समिति 28 सितंबर को धरना प्रदर्शन करने जा रही है. देवभूमि संघर्ष समिति के संयोजक भरत भूषण ने कहा कि 28 सितंबर को सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन होगा.
उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर को शिमला की संजौली मस्जिद मामले में सुनवाई होनी है. सरकार और प्रशासन लोगों का ध्यान भटकने का काम न करें. उन्होंने चेतावनी दी कि 5 अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त की अदालत से समाज के हक में फैसला नहीं आने पर जेल भरो आंदोलन की भी शुरुआत की जाएगी.
भरत भूषण ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बाहरी राज्य के लोगों की आवाजाही बढ़ी है. इससे राज्य में अपराध की दर भी बढ़ गई है. उन्होंने दावा किया कि बीते कई सालों में हिमाचल प्रदेश की करीब 300 महिलाएं लापता हो गईं. गुमशुदगी की शिकायतें थानों में भी दर्ज की करवाई गई हैं. उन्होंने सवाल खड़ा किया कि आखिर महिलाएं कहां चली गईं. भरत भूषण ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण इलाकों तक बाहरी 'विशेष समुदाय' के लोग पहुंच रहे हैं.
देवभूमि संघर्ष समिति देगी धरना
उन्होंने कहा कि षड्यंत्र के तहत गतिविधि बढ़ाई जा रही है. लिहाजा, मामले का संज्ञान लेने की जरूरत है. देवभूमि संघर्ष समिति ने सभी पंचायतों से भी आग्रह किया है. भरत भूषण ने कहा कि दो अक्टूबर को होने वाली पंचायत की बैठक में एक प्रस्ताव पास किया जाए. प्रस्ताव में बाहरी लोगों के आने पर नजर रखी जाए. बाहरी लोगों के आने पर आधार कार्ड से पहचान की जानकारी हो.
अनिरुद्ध सिंह का जताया आभार
भारत भूषण ने हिमाचल प्रदेश सरकार में पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह का भी आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में खुलकर अपनी बात कही. अनिरुद्ध सिंह ने उस समस्या की तरफ ध्यान दिलाया, जहां बड़ी संख्या में बांग्लादेश से रोहिंग्या हिमाचल में आ रहे हैं. भरत भूषण ने दावा किया कि हिमाचल प्रदेश में रोहिंग्या गांव की संख्या बढ़ गयी है. उन्होंने राज्य सरकार से पूरे मामले में जांच कराने की अपील की.
दबाव में आने की अप्रत्यक्ष सलाह
भरत भूषण ने कहा कि राजनीति में कई तरह के दबाव होते हैं. ऐसा ही दबाव तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भी आया था. जब रोहड़ू में एक बड़ा आंदोलन हुआ, तो वीरभद्र सिंह मौके पर आए. लोगों से मुलाकात के बाद साल 2006 में वीरभद्र सिंह की तत्कालीन सरकर धर्मांतरण के विरुद्ध कानून लाई. उस समय तत्कालीन यूपीए सरकार में रक्षा मंत्री को हिमाचल प्रदेश भेजकर दबाव बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वीरभद्र सिंह दबाव में नहीं आए थे. उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि हिमाचल प्रदेश देवभूमि है और हिमाचल देव आदेश के मुताबिक चलता है.
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