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हिमाचल में हीरा कारोबारी ने खत्म की चाचा-भतीजे की राजनीति, कुछ ऐसे हुआ केंद्रीय मंत्री के ससुर के चुनावी सफर का अंत

दुबई से साल 2017 में लौटे हीरा कारोबारी प्रकाश राणा ने चाचा गुलाब सिंह ठाकुर और भतीजे सुरेंद्र पाल की चुनावी राजनीति का अंत कर दिया. गुलाब सिंह ठाकुर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के ससुर हैं.

Himachal News: साल 2017 में दुबई से लौटे हीरा कारोबारी प्रकाश राणा ने पहले चाचा की राजनीति को खत्म किया और अब साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भतीजे की राजनीति का अंत कर दिया है. 2017 में सिलेंडर चुनाव चिन्ह के साथ आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े प्रकाश राणा ने बीजेपी के गुलाब सिंह ठाकुर को 7 हजार 775 वोट से हराया था. 

वही साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रकाश राणा बीजेपी में शामिल हो गए. इस बार बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारा और प्रकाश राणा ने कांग्रेस के सुरेंद्र पाल को 4 हजार 339 वोटों से शिकस्त दे दी. बीजेपी के गुलाब सिंह ठाकुर और कांग्रेस के सुरेंद्र पाल रिश्ते में चाचा-भतीजे हैं. ऐसे में प्रकाश राणा ने चाचा और भतीजे दोनों की ही राजनीति को खत्म कर दिया है. बीजेपी के कद्दावर नेता रहे गुलाब सिंह ठाकुर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के समधी भी हैं.

40 साल पुराना सियासी किला किया ध्वस्त

हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सीट नंबर 31 जोगिंदरनगर में चाचा-भतीजे 40 साल तक राजनीति कर जीत हासिल करते रहे. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जब प्रेम कुमार धूमल को बीजेपी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया, उस समय ठाकुर गुलाब सिंह का प्रचार अनाधिकारिक तौर पर डिप्टी सीएम के रूप में भी किया जाता रहा. इस विधानसभा चुनाव को ठाकुर ने अपना आखिरी चुनाव भी बताया था. बावजूद इसके ठाकुर गुलाब सिंह जीत हासिल नहीं कर सके. इससे पहले साल 2003 के विधानसभा चुनाव में जब ठाकुर गुलाब सिंह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए, तो उन्हें भतीजे सुरेंद्र पाल ने ही चुनाव में शिकस्त दे दी थी.

अंधेरे में सुरेंद्र पाल का सियासी भविष्य!

इसी तरह हिमाचल कांग्रेस के नेता सुरेंद्र पाल की भविष्य की राजनीति पर भी खतरा मंडराता नजर आ रहा है. वो साल 2007, साल 2012 और साल 2022 के विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देख चुके हैं. साल 2017 में कांग्रेस ने उनकी जगह जीवन ठाकुर को टिकट दिया था. सुरेंद्र पाल को उनके पिछले तीन चुनावों में मिली लगातार हार के चलते उनका राजनीतिक भविष्य अंधेरे में है. इस तरह दुबई से हिमाचल लौटे इस करोड़पति हीरा कारोबारी ने पहले आजाद प्रत्याशी के तौर पर पहले चाचा गुलाब सिंह और अब बीजेपी प्रत्याशी के रूप में भतीजे सुरेंद्र पाल की राजनीति पर ग्रहण लगा दिया है. प्रकाश राणा का विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होना ठाकुर गुलाब सिंह की राजनीति का अंत ही माना गया.

दिलचस्प रहा है ठाकुर गुलाब सिंह का सियासी सफर

ठाकुर गुलाब सिंह ने साल 1977 से लेकर साल 2017 तक 11 विधानसभा चुनाव लड़े. ठाकुर गुलाब सिंह को इनमें से आठ चुनाव में जीत मिली. साल 1977 में उन्होंने जनता दल और 1982 में आजाद प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की. साल 1985 में ठाकुर गुलाब सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी से चुनाव हार गए. इसके बाद वे कांग्रेस में ही शामिल हो गए. इसके बाद गुलाब सिंह ठाकुर ने साल 1990, साल 1993 और साल 1998 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के ससुर हैं ठाकुर गुलाब सिंह

साल 2002 में ठाकुर गुलाब सिंह की बेटी की शादी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर से हुई. इसके बाद ठाकुर गुलाब सिंह बीजेपी में शामिल हो गए. साल 2003 का विधानसभा चुनाव ठाकुर ने बीजेपी की टिकट पर लड़ा और अपने भतीजे सुरेंद्र पाल से ही वो चुनाव हार गए. यह दूसरी बार था, जब ठाकुर गुलाब सिंह चुनाव हारे. इसके बाद साल 2007 और साल 2012 में उन्होंने अपने भतीजे सुरेंद्र पाल से हार का बदला लिया. साल 2017 में वे फिर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार उन्हें आजाद प्रत्याशी प्रकाश राणा से हार का मुंह देखना पड़ा. साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रकाश राणा बीजेपी में शामिल हो गए और इस तरह ठाकुर गुलाब सिंह की चुनावी राजनीति का अंत हो गया.

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