विरोध के बाद हिमाचल सरकार ने बदला गेस्ट टीचर पॉलिसी का नाम! क्या बोले शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर?
Guest Teacher Policy: हिमाचल में गेस्ट टीचर पॉलिसी के खिलाफ छात्र संगठन लामबंद हो गए हैं. विरोध के बीच मंत्री रोहित ठाकुर का बयान सामने आया है. उन्होंने आवर्ली बेस्ड टीचर अस्थाई व्यवस्था बताया.
Himachal Guest Teacher Policy: हिमाचल प्रदेश में गेस्ट टीचर पॉलिसी का विरोध शुरू हो गया है. विरोध की शुरुआत पॉलिसी की मंजूरी के अगले दिन से हो गई थी. छात्र संगठनों ने गेस्ट टीचर पॉलिसी को वापस लेने की मांग की. पॉलिसी के खिलाफ एबीवीपी, एसएफआई और एनएसयूआई लामबंद हो गए हैं. कैबिनेट ने गुरुवार 12 दिसंबर को गेस्ट टीचर पॉलिसी पर मुहर लगाई थी. सरकार पॉलिसी को आवर्ली बेस्ड टीचर (Hourly Based Teacher) बता रही है.
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने मंगलवार को सफाई दी. उन्होंने कहा, "आवर्ली बेस्ड टीचर एक अस्थाई व्यवस्था है. प्रदेश सरकार किसी विषय के टीचर के छुट्टी पर जाने की अवधि में गेस्ट टीचर की सेवाएं पीरियड के आधार पर लेगी. यह सेवाएं एक महीने में दस दिन से ज्यादा नहीं ली जाएगी. नई व्यवस्था सरकार इसलिए कर रही है ताकि किसी टीचर के छुट्टी पर जाने से बच्चों की पढ़ाई एक दिन भी प्रभावित न हो. आवर्ली बेस्ड टीचर से शिक्षा विभाग में नियमित भर्ती प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी."
गेस्ट टीचर पॉलिसी पर छिड़ी जंग
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता सीधी भर्ती से अध्यापकों को नौकरी देना है. सरकार शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा पर ध्यान दे रही है. आवर्ली बेस्ड टीचर लगाना भी इसी 'प्रयास' का हिस्सा है. जब तक अध्यापकों की नियमित भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक शिक्षकों की कमी से छात्रों को जूझना न पड़े. इसके लिए प्रिंसिपल को आवर्ली बेस्ड टीचर रखने के लिए अधिकृत किया जाएगा. जैसे-जैसे नियमित शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी होगी वैसे-वैसे आवर्ली बेस्ड टीचर की जरूरत कम होती जाएगी.
मंत्री ने बताया आवर्ली बेस्ड टीचर
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार शिक्षा विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 15 हजार पदों पर भर्ती कर रही है. इनमें तीन हजार से अधिक शिक्षकों को नियुक्ति पत्र भी दिए जा चुके हैं. अन्य पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जारी है. विपक्ष इस मुद्दे को बेवजह तूल देने का प्रयास कर रहा है. पिछली सरकार के कार्यकाल में अध्यापकों की भर्ती नहीं होने का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ा. जयराम ठाकुर सरकार ने बिना बजट और बिना स्टाफ के सिर्फ नए संस्थान खोलने या अपग्रेड करने की घोषणाएं ही कीं, ताकि विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ उठाया जा सके. प्रदेश की जनता ने चुनाव में बीजेपी को सिरे से नकार दिया.
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