Himachal Election 2022: कौन हैं वो तीन अहम खिलाड़ी, जो हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में निभाएंगे बड़ा रोल?
Himachal Pradesh Assembly Election 2022: सत्ता विरोधी लहर और सीएम जयराम ठाकुर के कामों से नाराज लोगों को फिर से अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी के राज्य के बड़े नेता भी पीएम मोदी की ओर देख रहे हैं.
Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है. प्रदेश की कुल 68 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर सत्ताधारी बीजेपी (BJP) के साथ-साथ कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) भी पूरा जोर लगा रही है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव पर लोगों की नजर इसलिए भी बनी हुई है, क्योंकि राज्य में 1985 के बाद से कोई भी पार्टी लगातार चुनाव नहीं जीत पाई है. ऐसे में बीजेपी इस सिलसिले को तोड़ने का दावा कर रही है, तो कांग्रेस भी इसी वजह से सत्ता में वापसी की उम्मीद देख रही है.
इसके अलावा आम आदमी पार्टी की बात करें तो वह बारी-बारी से सत्ता में आने वाली बीजेपी और कांग्रेस पर हमलावर है और खुद को जनता के सामने एक विकल्प के तौर पर पेश कर रही है. हालांकि, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा कि जनता 2022 के विधानसभा चुनाव में किस पार्टी पर भरोसा जताती है और प्रदेश का कमान सौंपती है, लेकिन इस चुनाव में कई ऐसे फैक्टर और नेता हैं, जिनका चुनाव पर असर पड़ सकता है.
बीजेपी के बड़े नेता भी देख रहे हैं पीएम मोदी की ओर
सबसे पहले बात बीजेपी की करते हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी को राज्य में इस बार भी उनसे काफी उम्मीदें हैं. यही वजह है कि पिछले एक महीने के अंदर ही पीएम मोदी तीन बार हिमाचल प्रदेश का दौरा कर चुके हैं. सत्ता विरोधी लहर और सीएम जयराम ठाकुर के कामों से नाराज लोगों को फिर से अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी के राज्य के बड़े नेता भी पीएम मोदी की ओर देख रहे हैं. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि हिमाचल प्रदेश में लोगों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी एक बड़ा आकर्षण बने हुए हैं, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.
विवादों से मुक्त रहा है सीएम जयराम ठाकुर का कार्यकाल
कुछ समय पहले हुए लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार की वजह से भी पार्टी अपने सबसे दमदार चेहरे यानी पीएम मोदी के सहारे सत्ता अपने पास बरकरार रखने की कोशिश में है. वैसे तो हिमाचल प्रदेश के लिए पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह और राज्य से ही आने वाले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी चेहरा सामने हैं, लेकिन इस चुनाव में सीएम जयराम ठाकुर भी अहम खिलाड़ी साबित हो सकते हैं. सीएम जयराम ठाकुर का कार्यकाल काफी हद तक विवादों से मुक्त रहा है.
जयराम ठाकुर का राजनीतिक करियर
- जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को हुआ.
- हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से ताल्लुक रखने वाले जयराम ठाकुर ने अपनी शुरुआती पढ़ाई यहीं के एक सरकारी स्कूल से प्राप्त की.
- साल 1986 में हिमाचल प्रदेश के एबीवीपी के संयुक्त सचिव बने.
- 1989-93 में जम्मू और कश्मीर में एबीवीपी के आयोजन सचिव बने.
- 1993-95 में हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के राज्य सचिव बनाए गए.
- 1998 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए.
- 2000-2003 हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के उपाध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी.
- 2003 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में दोबारा से निर्वाचित हुए.
- 2003-2005 हिमाचल प्रदेश में बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में काम किया.
- 2007 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीसरी, 2012 में चौथी और 2017 में पांचवीं बार जीत दर्ज की.
- 27 दिसंबर 2017 को हिमाचल प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में जयराम ठाकुर ने शपथ ली.
- जयराम ठाकुर एक मंझे हुए नेता माने जाते हैं.
- जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश की बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी सेवा दे चुके हैं.
- वह 2009 से 2012 तक ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री के पद पर काबिज थे.
40 सालों बाद वीरभद्र सिंह के बिना चुनावी मैदान में कांग्रेस
वहीं कांग्रेस की बात करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद 2022 में एक बार सत्ता में वापसी करना चाहती है. कांग्रेस की उम्मीद इसलिए भी बढ़ी हुई है, क्योंकि कुछ महीने पहले हुए उपचुनाव में पार्टी ने लोकसभा की एक और विधानसभा की 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. हालांकि, कांग्रेस के कद्दावर नेता वीरभद्र सिंह के निधन की वजह से चार दशक में पहली बार कांग्रेस उनके बगैर चुनाव मैदान में उतर रही है. कांग्रेस ने इस चुनाव के लिए अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है. ऐसे में पार्टी का चेहरा एक तरह से दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और सांसद प्रतिभा सिंह हैं. चुनाव में उनकी कुशलता का भी इम्तिहान होगा. ऐसे में प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अहम खिलाड़ी साबित हो सकती हैं.
प्रतिभा सिंह का राजनीतिक करियर
- प्रतिभा सिंह का जन्म 16 जून 1956 को हुआ.
- प्रतिभा सिंह 1998 में सक्रिय राजनीति में आई थीं.
- पहला चुनाव इसी संसदीय क्षेत्र से 1998 में लड़ा था, जब बीजेपी के महेश्वर सिंह ने उन्हें करीब सवा लाख मतों से पराजित किया था. महेश्वर सिंह उनके समधी हैं.
- 2004 के लोकसभा चुनाव में समधी महेश्वर सिंह से 1998 की हार का बदला लेकर वह पहली बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुई थीं.
- फिर 2013 में लोकसभा उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को करीब 1.39 लाख मतों से शिकस्त देकर दूसरी बार सांसद बनी थीं.
- इसके बाद साल 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रामस्वरूप शर्मा ने उन्हें 39 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था.
- 2021 को लोकसभा उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने मंडी सीट से जीत दर्ज की.
नेताओं के दल बदलने से लगा है आप को झटका
दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह कमर कस चुकी है. पड़ोसी राज्य पंजाब में मिली जीत को पार्टी यहां भी दोहराना चाहती है. हालांकि, यह इतना आसान नहीं होगा. आप राज्य में बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा का वादा कर रही है और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के फिराक में है. पार्टी ने राज्य में खुद को बीजेपी और कांग्रेस के बेहतर विकल्प के तौर पर पेश किया है. आप पहली बार हिमाचल प्रदेश में चुनाव लड़ रही है और राज्य में पार्टी की जमीनी उपस्थिति ज्यादा नहीं है. यहीं नहीं पार्टी के कई नेताओं के दल बदलने से भी झटका लगा है. आप की ओर से हिमाचल प्रदेश की कमान सुरजीत ठाकुर के हाथों में हैं. जून में आप का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद उन्हें राज्य में राजनीतिक पहचान मिली.
सुरजीत ठाकुर का राजनीतिक करियर
- सुरजीत ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के राजगढ़ के छोटे से गांव से संबंध रखते हैं.
- सुरजीत ठाकुर एक किसान परिवार से हैं.
- उन्होंने होटल की नौकरी छोड़ 2012 में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में आप में शामिल हुए थे.
- सुरजीत ठाकुर ने विधानसभा से लेकर राज्य उपाध्यक्ष तक अलग-अलग पदों पर पार्टी के संगठन को संभाला और काम किया है.
- सुरजीत ठाकुर ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे कई राज्यों में जाकर चुनाव में पार्टी के लिए अपना योगदान दिया.
- उन्हें सरल स्वभाव और मेहनत माना जाता है.
2017 में बीजेपी को मिली थीं 44 सीटें
आपको बता दें कि 2017 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 44, कांग्रेस को 21, सीपीएम को 1 और अन्य के 2 दो सीटें मिली थीं. राज्य में सरकार बनाने के लिए 35 सीटों की आवश्यकता होती है. गौरतलब है कि इस साल हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक नॉमिनेशन दाखिल किए जाएंगे. वहीं राज्य की सभी 68 विधानसभा सीटों पर 12 नवंबर को एक साथ वोटिंग होगी, जबकि काउंटिंग 8 दिसंबर को है. राज्य में 55, 74, 793 वोटर हैं.