HPSEBL Tender Cancel In Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने सत्ता में आते ही व्यवस्था परिवर्तन की बात कही. सीएम सुक्खू ने प्रदेश के खराब आर्थिक हालातों पर भी खूब खुलकर कहा. इसके बाद प्रदेश में पिछली सरकार के दौरान हुए फैसले वापस लेने का एक दौर शुरू हो गया. इसी कड़ी में अब मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद प्रदेश में सिस्टम सुधार और स्मार्ट मीटर के लिए लाई गई योजना पर भी रोक लगा दी गई है.


पिछली बीजेपी सरकार के समय हिमाचल प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने और व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए तीन हजार 701 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया गया था. इसे मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद रद्द कर दिया गया. सरकार इस फैसले को घाटे की राह पर में दौड़ते बिजली बोर्ड का बोझ कुछ कम करने वाला कदम बता रही है, तो प्रदेश पर बढ़ते कर्ज के बोझ को कुछ हल्का करने की कोशिश.


स्मार्ट मीटर पर करोड़ों रुपये होने थे खर्च


पिछली बीजेपी सरकार के दौरान हिमाचल प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने के साथ बिजली के सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए एक योजना लाई गई. हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड केंद्र की रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत प्रदेश भर में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर आगे बढ़ रहा था. हिमाचल प्रदेश के लगभग 24 लाख उपभोक्ताओं के घर स्मार्ट मीटर लगाने जाने थे. इसमें सरकार एक हजार 903 करोड़ रुपये का खर्च आना था. वहीं सिस्टम की दुरुस्ती पर एक हजार 721 करोड़ रुपये अलग से खर्च किए जाने थे.


मुफ्त बिजली के चलते स्मार्ट मीटर की उपयोगिता नहीं


अब हिमाचल प्रदेश बिजली विभाग की ओर से विभागीय कार्यवाही का हवाला देते हुए पूरे टेंडर को रद्द किया कर दिया गया है. पूरी योजना पर इसे फिजूल खर्च बताते हुए रोक लगा दी गई है. वहीं सरकार का तर्क है कि सरकार की कुछ यूनिट फ्री बिजली देने की घोषणा के बाद लगभग 10 हजार की लागत वाले स्मार्ट मीटर का काम लगभग खत्म हो गया है. ऐसे में प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता.


कांग्रेसी ने किया है 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली का वादा


हिमाचल प्रदेश में पिछली सरकार के वक्त प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त कर दी थी. वहीं कांग्रेस सरकार में आने से पहले घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक फ्री बिजली देने की घोषणा कर चुकी है. इस तरह देखा जाए, तो राज्य के 24 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ताओं में से करीब 15 लाख उपभोक्ताओं के बिजली बिल न आने की संभावना है. लिहाजा, 10 हजार रुपये की कीमत वाले मीटर लगाने में फायदे का सौदा तो नजर नहीं आता.


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