Himachal News: हिमाचल का पहला सरकारी स्कूल जहां पहाड़ी बोली में हुई प्रार्थना, प्रदेश में जमकर हो रही तारीफ
हिमाचल के जिला सिरमौर के ददाहू स्कूल में पहाड़ी बोली में हो रही सुबह की प्रार्थना की प्रदेश भर में आज चर्चा है. इस अनूठी पहल के लिए प्रदेश भर में स्कूल टीचर्स के साथ प्रबंधन की तारीफ हो रही है.
Pahadi Prayer in Sirmour: तेजी से दौड़ लगा रहे आधुननिक युग में जहां बेहतरीन अंग्रेजी बोलने की होड़ लगी हुई है. वहीं, हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में एक स्कूल ऐसा भी है जहां स्थानीय बोली को बढ़ावा देने के लिए स्कूल प्रबंधन काम कर रहा है. जिला सिरमौर के राजकीय कन्या उच्च पाठशाला ददाहू में पहाड़ी बोली में प्रार्थना सभा का आयोजन हो रहा है. यही नहीं, सुबह प्रार्थना के वक्त मंच से दी जाने वाली कमांड भी पहाड़ी बोली में दी जा रही है. स्कूल में पहाड़ी प्रार्थना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है और प्रदेश भर में इस अनूठी पहल की तारीफ हो रही है.
पहाड़ी बोली में हो रही प्रार्थना सभा
जानकारी के मुताबिक, बुधवार को पहली बार स्कूल में स्थानीय बोली में प्रार्थना हुई. इसके लिए बीते एक महीने से तैयारी चल रही थी. प्रार्थना के रूप में प्रसिद्ध लोकगीत 'रामो रा नाव' को ठेठ पहाड़ी बोली में गाया गया. यही नहीं, प्रार्थना के वक्त प्रतिज्ञा, नारे, आज का विचार और भाषण भी पहाड़ी बोली में ही हुआ. पहाड़ी बोली में प्रार्थना का संचालन नवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा अवंतिका कर रही हैं. सोशल मीडिया पर इसका वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. लोग इस अनूठी पहल की जमकर तारीफ कर रहे हैं. हालांकि कुछ लोगों का सोशल मीडिया पर दावा यह भी है कि इससे पहले भी कुछ स्कूलों में पहाड़ी बोली में प्रार्थना सभा का आयोजन हो रहा है.
210 छात्राएं हासिल कर रही शिक्षा
जिला सिरमौर के राजकीय कन्या उच्च पाठशाला ददाहू में हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में सभा का आयोजन होता है। अब पहाड़ी बोली को इस श्रृंखला में चौथा स्थान दिया गया है. इस पहल की न केवल इलाके में बल्कि पूरे प्रदेश में प्रशंसा हो रही है. ददाहू का यह सरकारी स्कूल शहर इलाके में पड़ता है और यहां करीब 210 छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं. बच्चों को पहाड़ी बोली में प्रार्थना टीजीटी अध्यापक अनंत आलोक और निशा ठाकुर ने तैयार करवाई है.
पहाड़ी बोली को दी जा रही महत्ता
राजकीय कन्या उच्च पाठशाला ददाहू की मुख्य अध्यापिका उषा रानी ने बताया कि वह अपने स्कूल में कुछ हटकर करना चाहती हैं. इस मुहिम के जरिए पहाड़ी बोली को महत्व दिया जा रहा है. यहां हिंदी अंग्रेजी और संस्कृत के साथ बच्चों को पहाड़ी बोली में भी निपुण बनाए जाने की योजना है, ताकि बच्चे हिंदी और अंग्रेजी के साथ अपनी बोली को भी याद रखें.