Shimla: जाखू मंदिर पहुंचना आसान, समुद्रतल से 2455 मीटर की ऊंचाई पर बना आउटडोर एस्क्लेटर
Himachal Pradesh News: शिमला के विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर में एस्केलेटर बनकर तैयार है. एस्केलेटर की वजह से हनुमान भक्तों के लिए जाखू मंदिर ( Jakhu Temple ) पहुंचना आसान हो गया.
Shimla Jakhu Temple: शिमला के जाखू मंदिर में आने वाले भगवान हनुमान के भक्तों का सफर अब आसान हो जाएगा. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जाखू स्थित हनुमान मंदिर में प्रदेश के पहले आउटडोर एस्कलेटर जनता को समर्पित कर दिया. समुद्र तल से 2 हजार 455 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में लोगों की आवाजाही को आरामदायक बनाने के लिए चार एस्कलेटर्स का निर्माण 7 करोड़ 94 लाख रुपये से किया गया है. इन एस्कलेटर्स पर एक घंटे ने छह हजार श्रद्धालु सफर कर पाएंगे.
एस्केलेटर का लोकार्पण करते हुए दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इन एस्कलेटर्स से श्रद्धालुओं को हनुमान मंदिर के सुगम दर्शन की सुविधा उपलब्ध हुई है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के दृष्टिगत एस्कलेटर्स के दोनों ओर सेफ्टी ब्रेक और एलईडी लाईट्स लगाई गई हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राचीन जाखू मंदिर श्रद्धालुओं के साथ शिमला आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है. प्रदेश सरकार द्वारा इस धार्मिक स्थल पर सभी प्रकार की आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के प्रयास निरंतर जारी हैं.
क्या है मंदिर का इतिहास?
शिमला में करीब 8 हजार 048 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. भगवान हनुमान का दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले.
इसी स्थान पर प्रकट हुई भगवान की स्वयंभू मूर्ति
हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया. भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.
भगवान हनुमान की चरण पादुका भी है मौजूद
इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. दुनियाभर में आज इस मंदिर को जाखू मंदिर के नाम से जाना जाता है.
मंदिर में स्थापित है 108 फीट ऊंची मूर्ति
साल 2010 ने इस मंदिर में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति भी स्थापित की गई, जो शिमला में प्रवेश करने पर दूर से ही नजर आ जाती है. भगवान हनुमान के भक्त रोजाना उनके दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं. कहा जाता है कि भगवान हनुमान अपने सच्चे भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं.
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