Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 13-14 अगस्त की दरमियानी रात भारी बारिश हुई. भारी बारिश के चलते शिमला के समरहिल इलाके में भारी भूस्खलन हुआ. यहां भूस्खलन की वजह से समरहिल शिव बावड़ी इसकी चपेट में आ गई. सावन के आखिरी सोमवार के दिन मंदिर में बैठकर पूजा कर रहे करीब 21 लोग मलबे में दब गए. 14 अगस्त से लेकर अब तक घटनास्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. शनिवार रात तक यहां 17 शवों की बरामदगी हो चुकी है. एनडीआरएफ के जवान अब भी अन्य की तलाश में जुटे हुए है.
सातवें दिन भी ऑपरेशन जारी
रविवार को इस ऑपरेशन का सातवां दिन है एनडीआरएफ के साथ भारतीय सेना और एसडीआरएफ के जवान दिन-रात एक कर मलबे में दबे लोगों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. गुरुवार तक रेस्क्यू टीम ने मंदिर के आसपास का इलाका खंगाला. इसके बाद मंदिर से ठीक नीचे बने नाले में सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ. यहां पांच शवों की बरामदगी हो चुकी है. एनडीआरएफ इसी इलाके में लगातार शवों को ढूंढने की कोशिश कर रही है. इस इलाके को क्लियर करने के बाद एक बार दोबारा मंदिर के आसपास के इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जाएगा.
लोगों को अपनों के मिलने का इंतजार
मलबे में लोगों को दबे हुए सात दिन बीत चुका है. ऐसे में किसी के भी जीवित होने की संभावना न के बराबर है, जो लोग मलबे में दबे हुए हैं उनके परिवार के लोग अब भी दिन-रात सिर्फ अपनों के मिलने का इंतजार कर रहे हैं. 14 अगस्त को हुए भूस्खलन में ऐसी तबाही मची जिसमें कई परिवारों के चिराग छिन गए. मलबे में दबे कुछ ऐसे भी परिवार थे, जिनकी तीन पीढ़ी के लोगों को जान गंवानी पड़ी. कोई मां-बाप अपने बच्चों को घर पर छोड़ कर आया था, तो कोई पिता को दर्शन के बाद वापस लौटकर आने के लिए कह कर गया था, लेकिन कुदरत का कहर ऐसा बरपा कि फिर मंदिर में पूजा करने गए लोग कभी वापस लौट ही नहीं सके. सोमवार को जिस जगह पर भारी तबाही हुई वहीं मंगलवार को विशाल भंडारे का आयोजन किया गया था. लेकिन, उससे पहले ही सब कुछ मानो खत्म ही हो गया.
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