Virbhadra Singh Birthday: वीरभद्र सिंह का रोल नंबर 5359, राजनीति में कैसे हुई राज परिवार के बेटे की एंट्री?
वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने. उनकी शुरुआती शिक्षा शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से हुई. वीरभद्र सिंह राजनीति में न आकर हिस्ट्री के प्रोफ़ेसर बनना चाहते थे. आज उनका जन्मदिन है.
Virbhadra Singh Birthday: हिमाचल प्रदेश की राजनीति पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के जिक्र के बिना अधूरी है. बात जब भी हिमाचल की राजनीति की होती है, तो आंखों के सामने खुद-ब-खुद वीरभद्र सिंह की तस्वीर उतर आती है. उनके जन्मदिन के मौके पर आज हर कोई उन्हें याद कर रहा है. वीरभद्र सिंह की कुशल राजनीति और सशक्त नेतृत्व से हर कोई वाकिफ है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर वीरभद्र सिंह के अंदर यह गुर आए कहां से? वीरभद्र सिंह का जन्म राज परिवार में हुआ था. उनके परिवार से राजनीति का कोई खास संबंध नहीं था. वीरभद्र सिंह वह शख्सियत हैं, जो छह बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और पांच बार सांसद रहे. यूपीए-2 के दौरान वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय इस्पात मंत्री का प्रभार भी संभाला.
वीरभद्र सिंह का रोल नंबर 5359
वीरभद्र सिंह के भीतर राजनीति और नेतृत्व करने की क्षमता उनकी शुरुआती शिक्षा के दौरान आई. वीरभद्र सिंह शिमला के ऐतिहासिक बिशप कॉटन स्कूल में पढ़े. यहां आज भी हर किसी को वह रजिस्टर बेहद गर्व के साथ खोलकर दिखाया जाता है, जहां 5359 रोल नंबर के आगे वीरभद्र सिंह का नाम लिखा है. जब बुशहर रियासत का राजकुमार इस स्कूल में पढ़ने आया, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि एक दिन यह छोटा बच्चा हिमाचल प्रदेश की राजनीति का कद्दावर नेता साबित होगा.
हिस्ट्री के प्रोफेसर बनना चाहते थे
एक दिलचस्प बात यह भी है कि वीरभद्र सिंह कभी राजनीति में नहीं आना चाहते थे. वीरभद्र सिंह की इच्छा थी कि वे हिस्ट्री के प्रोफ़ेसर बने, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर वे राजनीति में आए. वीरभद्र सिंह उन चंद शख्सियतों में से एक हैं, जिन्होंने जवाहर लाल नेहरू, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ काम किया है. साल 1962 में वीरभद्र सिंह ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा. साल 1983 में वीरभद्र सिंह केंद्र की राजनीति छोड़ हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री बनकर आए.
'दिलों के राजा' थे वीरभद्र सिंह
इसके बाद साल 2012 तक वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सामने विद्या स्टोक्स, आनंद शर्मा, गुरमुख सिंह बाली, कौल सिंह ठाकुर और पंडित सुखराम सरीखे दिग्गज नेताओं ने समकक्ष गुट खड़ा किया, लेकिन वीरभद्र सिंह हमेशा ही इक्कीस साबित हुए. 8 जुलाई 2021 को लंबी बीमारी के बाद वीरभद्र सिंह का निधन हो गया, लेकिन वे हिमाचल प्रदेश की जनता के दिलों में आज भी जिंदा हैं. यह जनता का ही प्यार है कि देश में राजशाही खत्म होने के बाद लोकतंत्र में भी वीरभद्र सिंह को 'राजा साहब' के नाम से याद किया जाता है.