फर्श पर सोकर अर्श तक पहुंचे जेपी नड्डा, छात्र नेता से BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने तक का सफर
BJP President JP Nadda: बतौर बीजेपी अध्यक्ष सेवा विस्तार पानेवाले जेपी नड्डा की जिंदगी संघर्ष भरी रही है. पार्टी की घोषणा से नड्डा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में खुशी का माहौल है.
BJP National Executive Meeting: बीजेपी ने जेपी नड्डा (JP Nadda) का बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ा दिया है. पार्टी की घोषणा से नड्डा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में खुशी की लहर है. जगत प्रकाश नड्डा का जीवन संघर्ष से भरा रहा है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से राजनीति की पारी शुरू करने वाले नड्डा ने फर्श पर सोकर अर्श तक का सफर पूरा किया है. बतौर छात्र नेता जगत प्रकाश नड्डा मंडल कमीशन के विरोध में आंदोलन का हिस्सा बने थे. पदयात्रा के दौरान रात में एबीवीपी कार्यकर्ता का घर ढूंढ कर फर्श पर ही सो जाया करते थे. अगले दिन सुबह जगत प्रकाश नड्डा फिर आगे बढ़ते और रात के वक्त छोटा-सा ठिकाना ढूंढ लिया करते. शिमला आने पर नड्डा का ठिकाना एबीवीपी का दफ्तर ही हुआ करता था. जगत प्रकाश नड्डा ने बतौर छात्र नेता भारतेंदु प्रेस के फर्श में सोकर भी कई रातें गुजारी हैं.
विरोधी लहर में भी नड्डा ने हासिल की थी जीत
साल 1993 के चुनाव में विरोधी लहर होने पर भी नड्डा ने जीत हासिल की थी. बीजेपी सियासत में औंधे मुंह पड़ी थी. हिमाचल प्रदेश विधानसभा की कुल 68 सीटों में से 8 पर बीजेपी विजयी हुई. विरोधी लहर में शांता कुमार और किशोरी लाल सरीखे नेता चुनाव हार गए थे. उस समय युवा नेता जगत प्रकाश नड्डा ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा. नियति शायद पहले ही जगत प्रकाश नड्डा का सियासी भविष्य लिख चुकी थी. शपथ लेने से ठीक पहले बीजेपी के कद्दावर नेता जगदेव चंद की मौत हो गई.
साल 1993 में बीजेपी विधायक दल के नेता बने
जगदेव चंद की मौत के बाद आलाकमान ने किशन कपूर और रविंद्र सिंह रवि सरीखे नेता को दरकिनार कर जगत प्रकाश नड्डा को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना. नड्डा ने भी नई जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए पांच साल कांग्रेस सरकार को घेरने में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी. वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा बताते हैं कि पंडित सुखराम का टेलीकॉम घोटाला जगत प्रकाश नड्डा ने जोर शोर से उछाला. साथियों के साथ मिलकर उन्होंने तीन दिन तक विधानसभा का सत्र चलने नहीं दिया.
उन्होंने टेलीकॉम घोटाले का जमकर विरोध किया. जगत प्रकाश नड्डा के सामने सत्ता पक्ष में वीरभद्र सिंह और जेबीएल खाची सरीखे नेता बैठे होते थे. सदन में बोलने के दौरान जेबीएल खाची को रोकने की कोई हिम्मत तक नहीं कर पाता था. जगत प्रकाश नड्डा ने खाची को कई बार न सिर्फ टोका बल्कि तथ्यों के साथ चुप कराने का भी काम किया. दिलचस्प है कि साल 1998 में बीजेपी की सत्ता में वापसी पर जगत प्रकाश नड्डा ने ही प्रेम कुमार धूमल को विधायक दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव पढ़ा था.
कार्यकाल विस्तार से गृह राज्य के लोग हुए खुश
सियासत में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के साथ कथित अनबन पर जगत प्रकाश नड्डा ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति से निकलकर केंद्र की राह थामी. उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और अमित शाह के साथ बतौर महासचिव काम किया. आज जगत प्रकाश नड्डा सेवा विस्तार पानेवाले तीसरे राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं. जगत प्रकाश नड्डा के संघर्ष में कई लोगों का साथ मिला. उनको आज सेवा विस्तार दिए जाने के बाद हिमाचल प्रदेश में खुशी का माहौल है.
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