(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Himachal Pradesh: शिमला को मिले पांच मनोनीत पार्षद, क्या फिर गड़बड़ा गया क्षेत्रीय संतुलन?
Shimla Municipal Corporation: हिमाचल प्रदेश सरकार ने मनोनीत पार्षदों को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. मनोनीत पार्षदों में अधिकतर टिकट की दौड़ में शामिल थे और आला नेताओं के करीबी माने जाते हैं.
Nominated Councillors of Shimla: हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार में भले ही सरकार को वक्त लग रहा हो, लेकिन नगर निगम शिमला के मनोनीत पार्षदों को सरकार ने खासी तेजी के साथ नियुक्ति दे दी है. हिमाचल प्रदेश सरकार के शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार की ओर से इस बाबत अधिसूचना भी जारी हो गई है. शहरी विकास विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक नगर निगम शिमला के मनोनीत पार्षदों में अश्वनी कुमार सूद, गोपाल शर्मा, विनोद कुमार भाटिया, गीतांजलि भागड़ा और राज कुमार शर्मा का नाम शामिल है. मनोनीत पार्षदों में अधिकतर टिकट की दौड़ में शामिल थे और आला नेताओं के करीबी माने जाते हैं.
एक ही इलाके से हैं पांचों पार्षद
मनोनीत पार्षदों में से अश्वनी कुमार सूद लोअर बाजार, गोपाल शर्मा ढली, विनोद कुमार भाटिया कृष्णा नगर, गीतांजलि भागड़ा मालरोड और राज कुमार शर्मा लोअर बाजार से संबंध रखते हैं. इनमें ढली और कृष्णा नगर में कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव में हार गए थे, लेकिन अन्य तीन वार्डों में कांग्रेस के प्रत्याशियों की ही जीत हुई थी. बावजूद इसके कांग्रेस ने जीते हुए वार्डों से ही मनोनीत पार्षदों को भी नियुक्ति दे दी है. अमूमन देखा जाता है कि सरकार उन्हीं वार्डों से मनोनीत पार्षद नियुक्त करती है, जहां पार्टी के प्रत्याशी हारे होते हैं. जानकार अब इस बात की तरफ भी ध्यान दिला रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश में सत्तासीन कांग्रेस ने एक ही इलाके से पांच पार्षदों का जंजाल खड़ा कर दिया है. इनमें लोअर बाजार से चुनाव जीती उमंग शर्मा बांगा, राम बाजार से चुनाव जीती सुषमा कुठियाला और अब मनोनीत हुए अश्वनी कुमार सूद और राज कुमार शर्मा शामिल हैं. इसके अलावा गीतांजलि भागड़ा भी साथ लगते वार्ड से ही मनोनीत की गई हैं.
क्यों नजर आ रहा क्षेत्रीय असंतुलन?
नगर निगम शिमला के कुल 34 वार्डों में से 24 वार्डों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत हुई थी. इसके अलावा 9 पर भारतीय जनता पार्टी जबकि एक सीट पर माकपा का प्रत्याशी जीत हासिल कर नगर निगम सदन में पहुंचा है. ऐसे में 10 सीटों पर हारे हुए प्रत्याशियों के साथ काम करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें मनोनीत पार्षद बनाकर मौका देगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब मंत्रिमंडल की तरह ही नगर निगम शिमला के मनोनीत पार्षदों के चयन में भी भारी क्षेत्रीय असंतुलन देखा जा रहा है. हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लगातार अपनी सरकार को व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार करार देते रहे हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार क्षेत्रीय संतुलन साधे बिना लक्ष्य साध सकेगी या नहीं?
यह भी पढ़ें:
Himachal News: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति, गाड़ी मालिकों को रखना होगा इस बात का ध्यान