Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि सार्वजनिक हित के लिए सरकारों को अपनी कुर्बानी देनी चाहिए, न कि सार्वजनिक हित हड़पने चाहिए. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने सरकार के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें सरकार की तरफ से यह कहा गया था कि प्रदेश के विश्वविद्यालय के संचालन के लिए सरकार पैसा देती है. ऐसे में कुलपति की नियुक्ति संबंधी प्रशासनिक प्रक्रिया में सरकार के पास ज्यादा अधिकार होने चाहिए.
शिमला में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मीडिया के साथ मुखातिब होते हुए कहा कि फिलहाल उन्हें बिल की कॉपी नहीं मिली है. ऐसे में जब बिल उनके पास आएगा, तो वह देखेंगे कि राज्य सरकार की ओर से इसमें क्या प्रावधान किए गए हैं.
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल की सुक्खू सरकार को फिर दो टूक
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि अगर राज्य सरकार पैसा देती है, तो वह प्राइवेट संस्था नहीं है. वह हिमाचल के सार्वजनिक हित की संस्था है. सार्वजनिक हित के लिए सरकारों को अपनी कुर्बानी देनी चाहिए, न कि सार्वजनिक हित हड़पने चाहिए. गौर हो कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ कई अन्य विश्वविद्यालय में भी लंबे वक्त से स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं हो सकी है. शिमला में राज्यपाल प्रताप शुक्ल से जब मीडिया ने कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और बागवानी विश्वविद्यालय नौनी के कुलपति की नियुक्ति पर ले गए बिल को लेकर सवाल पूछा, तो उन्होंने यह कड़ी प्रतिक्रिया दी.
मानसून सत्र के दौरान पास हुआ था संशोधन विधेयक
गौर हो कि हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और बागवानी विश्वविद्यालय नौनी में कुलपति की नियुक्ति सरकार की सलाह और सहायता से ही करने का बिल बीते 4 सितंबर को पास हुआ है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान यह संशोधन बिल पास हुआ.
हालांकि अब तक यह बिल राज्य सरकार की ओर से राजभवन तक नहीं भेजा गया है. इस संशोधित विधेयक में प्रबंधन बोर्ड के गठन का प्रावधान है. जिस वक्त राज्य सरकार यह बिल सदन में लेकर आई, उस वक्त विपक्ष ने इसका खूब विरोध भी किया था. इस संशोधित विधेयक को विपक्ष ने राज्यपाल की शक्तियों का हनन करने वाला बताया था. इस संशोधन विधेयक को हिमाचल प्रदेश सरकार ने ध्वनि मत से पारित करवाया. हालांकि नियमों के मुताबिक अभी यह बिल राजभवन भेजा जाएगा. राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही बिल कानून का रूप ले सकेगा.
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