Outsourced Employees Protest in Shimla: कोरोना काल में अपनी जान दाव पर लगाकर सेवा देने वाले कोविड कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. इसको लेकर शुक्रवार (1 सितंबर) को राज्य सचिवालय के बाहर स्वास्थ्य विभाग में तैनात आउटसोर्स कर्मचारी ने प्रदर्शन किया. यह कर्मचारी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात करने के लिए पहुंचे थे. कर्मचारियों ने कहा कि सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारी का एक्सटेंशन 30 सितंबर तक बढ़ाया है, लेकिन इसके बाद इनकी नौकरी जाने का खतरा है. 


आउटसोर्स कर्मचारियों ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले कहा था कि वह आउटसोर्स कर्मचारी के लिए पॉलिसी लाएंगे, लेकिन अब सरकार वादाखिलाफी कर रही है. स्वास्थ्य विभाग में तैनात आउटसोर्स कर्मचारी की प्रधान अनीता ने कहा कि कोरोना वॉरियर्स ने कोविड काल में बेहतरीन काम किया. जब सभी लोग डरे हुए थे, उस वक्त कोरोना वॉरियर्स अपनी जान पर खेल कर लोगों की सेवा में लगे हुए थे. उन्होंने कहा कि हर तरफ सिर्फ और सिर्फ सन्नाटा पसरा नजर आता था. प्रदेश भर में एंबुलेंस की डरा देने वाली आवाजों के बीच कर्मचारी अपने घर-परिवार से दूर रहकर सेवाएं देते रहे. 


तीन महीने से नहीं मिला मासिक वेतन- आउटसोर्स कर्मचारी


आउटसोर्स कर्मचारी की प्रधान अनीता ने कहा, हाल में करीब 1 हजार 800 कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में सरकार को अब यह सोचना चाहिए कि आखिर क्यों कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है? अनीता ने बताया कि कुछ कर्मचारियों को बीते तीन महीने से मासिक वेतन ही नहीं मिल रहा है. रोजगार पर खतरा मंडराने की चिंता के बीच जिला हमीरपुर से संबंध रखने वाली भावना भी अपने एक साल के बेटे शिवाय के साथ इस प्रदर्शन में शामिल हुई. 


गर्भवती रहते कोरोना काल में दी सेवा- आउटसोर्स कर्मचारी


प्रदर्शन में शामिल भावना ने बताया कि जब कोरोना काल था, तब वे गर्भवती थी. इसके बावजूद वे सेवाएं देती रही. अब सरकार 30 सितंबर को यह सेवाएं खत्म करने जा रही है. सरकार को विचार करना चाहिए कि आखिर उनके घर-परिवार का गुजर-बसर कैसे होगा? इस प्रदर्शन में कुछ ऐसे भी लोग शामिल हुए, जिनका पूरा परिवार इसी नौकरी पर आश्रित है. ऐसे में यदि 30 सितंबर के बाद उनकी नौकरी चली गई, तो आने वाला वक्त उनके लिए चिंता का सबब बन जाएगा.


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