सुक्खू सरकार को हाई कोर्ट का झटका! सरकार को लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि जारी रखने के आदेश
Himachal News: हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से फिर झटका लगा है. हाईकोर्ट ने सरकार को लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि जारी रखने के आदेश दिए हैं.
Loktantra Prahari Samman: साल 1975 की इमरजेंसी आज भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद का मुद्दा है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कई बार इमरजेंसी के मुद्दे पर गर्म बहस हो चुकी है. आपातकाल में जेल जाने वाले नेताओं के लिए तत्कालीन जयराम सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि योजना शुरू की थी.
विधानसभा में बिल लाकर अधिनियम बनाया गया. साल 2022 में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली सरकार ने बड़ा फैसला लिया. फरवरी 2023 में लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि योजना योजना बंद कर दी गयी. अब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि जारी करने का सरकार को आदेश दिया है.
हिमाचल की कांग्रेस सरकार को झटका
न्यायाधीश संदीप शर्मा ने लोकतंत्र सेनानी संघ की याचिका को स्वीकार करते हुए सम्मान राशि जारी करने का फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने सम्मान राशि रोके जाने पर नाराजगी जताई. न्यायाधीश संदीप शर्मा ने स्पष्ट किया कि प्रभावी कानून के बिना राज्य सरकार सम्मान राशि नहीं रोक सकती.
बता दें कि विधानसभा से पारित बिल को अब तक राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है. सम्मान राशि पर रोक के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य सरकार को सम्मान राशि दोबारा बहाल करना होगा.
जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने साल 2019 में हिमाचल प्रदेश लोकतन्त्र प्रहरी सम्मान राशि योजना बनाई थी. प्रदेश सरकार ने योजना को कानूनी मान्यता देने के लिए साल 2021 में हिमाचल प्रदेश लोकतन्त्र प्रहरी सम्मान अधिनियम पारित किया. कानून का उद्देश्य आपातकाल में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच राजनीतिक और सामाजिक कारणों से बंद किए लोकतंत्र प्रहरियों को सम्मान राशि प्रदान करना है. राज्य में कानून 6 मई 2021 को लागू किया गया. कानून के तहत पात्र नेताओं को तय राशि दी जाने लगी.
फरवरी 2023 में बंद हुई सम्मान राशि
फरवरी 2023 तक संघ के सदस्यों को राशि मिलती रही. मार्च 2023 से राशि को बंद कर दिया गया. बताया गया कि 3 मार्च 2023 को मौजूदा कांग्रेस सरकार की कैबिनेट मीटिंग में राशि रोकने का फैसला हुआ है. कैबिनेट मीटिंग में सम्मान राशि को निरस्त करने संबंधी कानून लाने का फैसला लिया गया.
फैसले के बाद कानून को निरस्त करने का बिल विधानसभा से पास कराया गया. बिल को राज्यपाल के पास भेजा गया. प्रार्थी संघ का कहना था कि अभी तक कानून को निरस्त करने के बिल पर राज्यपाल की मुहर नहीं लगी है.
ऐसे में अभी भी कानून प्रभावी है. हाईकोर्ट ने प्रार्थी संघ की दलीलों पर सहमति जताई. फैसले में कहा गया कि जब तक पारित बिल पर राष्ट्रपति या राज्यपाल की सहमति न मिल जाए तब तक कानून का रूप नहीं ले सकता. जब कोई कानून प्रभावी रहता है, तब उसके तहत लाभ भी नहीं रोके जा सकते.
हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि जब तक मौजूदा कानून तय प्रक्रिया के अनुसार निरस्त न हो जाए, तब तक संघ के सदस्यों को सम्मान राशि देना जारी रखा जाए. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि बहाल करने के फैसले का स्वागत किया है.
जयराम ठाकुर ने किया फैसले का स्वागत
उन्होंन कहा कि आपातकाल में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने वाले प्रहरियों को बीजेपी की ओर से सम्मानित किया गया था. कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने सत्ता संभालने के बाद सम्मान राशि को बंद कर दिया. उन्होंने राज्य सरकार के कदम को आपातकाल की तरह तानाशाही बताया. उन्होंने कहा कि आज हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार के मनमाने फैसले पर रोक लगाकर लोकतंत्र की रक्षा करने वाले प्रहरियों का मान बरकरार रखा. बीजेपी सरकार की ओर से शुरू की गई योजना की बहाली का स्वागत है. लोकतंत्र प्रहरियों की जीत से स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकार का फैसला भी असंवैधानिक था.