हिमाचल हाई कोर्ट से सुक्खू सरकार को झटका! एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के जमीन के ट्रांसफर पर लगाई रोक
Himachal High Court Notice: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को झटका लगा है. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के लैंड ट्रांसफर के एक आदेश पर रोक लगा दी है.
Himachal Pradesh News Today: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार को हिमाचल हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने पालमपुर में बनी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के 112 हेक्टेयर लैंड को ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी है.
चौधरी सरवन कुमार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पालमपुर की 112 हेक्टेयर भूमि को पर्यटन विभाग को हस्तांतरित की जानी थी. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने लैंड ट्रांसफर करने पर रोक लगाई है.
हाई कोर्ट ने भेजा नोटिस
इस मामले में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की दो जजों वाली खंडपीठ ने मुख्य सचिव के साथ पर्यटन और कृषि विभाग के आला अधिकारियों को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस संबंध में हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर टीचर एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी.
याचिका में कहा गया था कि यूनिवर्सिटी की भूमि पर टूरिज्म विलेज बनाने के लिए जमीन का हस्तांतरण करना कानूनी तौर पर गलत है. इसमें यह भी तर्क दिया गया था कि इस काम के लिए सरकार के पास अन्य विकल्प भी हैं.
हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर टीचर एसोसिएशन ने याचिका में कहा कि राज्य सरकार अन्य विकल्पों पर भी काम कर सकती है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान भी यह मुद्दा सदन में गूंजा था. विपक्ष के सदस्यों ने इसका खुलकर विरोध किया था.
याचिका में क्या कहा गया है?
हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर टीचर एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि पालमपुर स्थित चौधरी सरवन कुमार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एक ऐतिहासिक संस्थान है. यह सबसे पहले साल 1950 के दशक में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के रीजनल सेंटर के रूप में कांगड़ा में आया था.
उस समय कांगड़ा संयुक्त पंजाब का ही हिस्सा था. पालमपुर में इस यूनिवर्सिटी के पास शुरुआत में 400 हेक्टेयर की जमीन थी. समय के साथ विश्वविद्यालय की 125 हेक्टेयर जमीन अलग-अलग सरकारी विभागों को आवंटित कर दी गई.
यूनिवर्सिटी के पास अब महज 275 हेक्टेयर भूमि ही बची है. ऐसे में अगर 112 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विलेज बनाने के लिए दे दी जाएगी, तो यूनिवर्सिटी के विस्तार की गुंजाइश नहीं बचेगी.
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