CPS Appointment in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय आज फैसला सुना सकता है. न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की बेंच इस मामले में आज फैसला सुना सकती है. बीजेपी विधायक एवं अन्य ने हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.
साल 2023 में 10 नवंबर को हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक प्रतिशत ट्रांसफर पीटीशन भी दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. हिमाचल प्रदेश सरकार चाहती थी कि इस मामले को हाई कोर्ट के स्थान पर सुप्रीम कोर्ट सुने, लेकिन राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली थी.
CPS नियुक्ति को बताया गया असंवैधानिक
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के बाद जब मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण होना था, तब उससे ठीक पहले राज्य सचिवालय में मुख्य संसदीय सचिवों ने भी शपथ लेकर अपना पदभार ग्रहण किया. इससे पहले तत्कालीन जयराम सरकार में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति नहीं की गई थी. इससे पहले भी वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान मुख्य संसदीय सचिवों को अपना पद छोड़ना पड़ा था.
हिमाचल प्रदेश सरकार का तर्क है कि राज्य में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़ा हुआ कानून है. इसी आधार पर राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में अपना पक्ष भी रखा है. वहीं, मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती देने वाले पक्ष का मत है कि यह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का भी मामला है. ऐसे में भी मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को खत्म करने के साथ विधायक की सदस्यता को भी चुनौती देने की बात कही गई है.
हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में मौजूदा वक्त में छह मुख्य संसदीय सचिव हैं. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक सतपाल सिंह सत्ती के साथ अन्य 11 बीजेपी विधायकों ने इस नियुक्ति को चुनौती दी है. बीजेपी विधायकों के साथ पीपल का रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने भी इसी मामले में याचिका दायर की है.
उच्च न्यायालय दोनों याचिकाओं को क्लब कर सुनवाई की. हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए हैं. इनमें कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, दून से राम कुमार और अर्की से संजय अवस्थी शामिल हैं.
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