Himachal News: हिमाचल में 13-14 अगस्त की दरमियानी रात हुई तेज बारिश ने शिमला में भारी तबाही मचाई. यहां हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की तरफ जाने वाली सड़क पर बादल फटने की वजह से भारी तबाही हुई. इसका असर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज की इमारत पर भी हुआ. इस ऐतिहासिक इमारत के पिछले गार्डन का कुछ हिस्सा नीचे जा गिरा. साथ ही शिमला के शिव बावड़ी में 20 से ज्यादा लोग इस लैंडस्लाइड की चपेट में आ गए. इस घटना के बाद से अब तक यहां 15 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं और अन्य की तलाश जारी है.
इस बीच साल 1888 में बनी इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एडवांस स्टडी की इमारत पर दरारें पड़ने की खबर सामने आई है. इस बीच एबीपी न्यूज ने मौके पर पहुंचकर इलाके का जायजा लिया. यह ऐतिहासिक इमारत पूरी तरह सुरक्षित है और यहां कोई दरार नहीं आई है. केवल भूस्खलन की वजह से इमारत के आगे बने गार्डन का पिछला कुछ हिस्सा ढहा है और आगे की तरफ आंगन कुछ हद तक बारिश की वजह से नीचे बैठ गई है.
इमारत पूरी तरह सुरक्षित
हालांकि, यह कई मानसून से हो रहा है. इस मानसून में इमारत और इसके आंगन पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है. ऐसे में इमारत पर असुरक्षा की खबरें सरासर गलत है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज के प्रशासन ने बताया कि इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दे दी गई है. मौके पर शिमला के उपमंडल अधिकारी भानु गुप्ता ने आकर जायजा भी लिया है. जल्द ही एक टेक्निकल टीम यहां आएगी, जो बताएगी कि आखिर आंगन किस वजह से नीचे की तरफ बैठा है? आईआईएएस के अधिरकियों ने बताया कि इमारत पूरी तरह सुरक्षित है और इसे कोई खतरा नहीं है.
सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाह
शिव बावड़ी में हुए हादसे की एक वजह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी के टैंक से पानी लीक होने को भी बताया जा रहा था. आईआईएए के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह टैंक पूरी तरह खाली है और इसमें पानी नहीं है. अब भी टैंक पूरी तरह सुरक्षित है. ऐसे में टैंक में लीकेज की वजह से घटना नहीं हुई है. सोशल मीडिया पर इस तरह की कुछ अफवाह फैलाई जा रही हैं, जो सरासर गलत है. बता दें कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी की इमारत साल 1888 में ब्रिटिश शासन काल के दौरान बनी थी. यहां ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वायसराय रहा करते थे. बाद में इसे राष्ट्रपति निवास बनाया गया.
ऐतिहासिक है IIAS की इमारत
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बाद में इसे शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया. यह वही ऐतिहासिक इमारत है, जहां सबसे पहले चाबा से बिजली लाई गई थी. साल 1888 में ही यह इमारत बिजली से रोशन हो गई थी. इसी इमारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान एक मैनुअल लिफ्ट भी थी. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी की ऐतिहासिक इमारत सात मंजिला है. इसमें पांच मंजिला अंडरग्राउंड जबकि दो मंजिल ऊपर नजर आती है.