Himachal: कर्ज लेने में पांचवें नंबर पर हिमाचल, उपमुख्यमंत्री ने पेश किए हैरान करने वाले आंकड़े
Loan on Himachal: उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर पूर्व BJP सरकार को जिम्मेदार ठहराया. हिमाचल कर्ज लेने वाले राज्यों में देशभर में पांचवें नंबर पर है.
Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के चौथे दिन पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर हंगामा हुआ. प्रश्न काल से शुरू हुआ विवाद पूरा दिन देखने को मिला. हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के चौथे दिन उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर गठित सब कमेटी की रिपोर्ट सदन के समक्ष रखी. इस संदर्भ में उप मुख्यमंत्री ने विधानसभा में अपना वक्तव्य रखा. इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और उप मुख्यमंत्री के वक्तव्य को पूरी तरह राजनीतिक करार दिया.
92 हजार 774 करोड़ रुपए की प्रत्यक्ष देनदारी
हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि हिमाचल प्रदेश कर्ज लेने वाले राज्यों में देशभर में पांचवें नंबर पर आ पहुंचा है. प्रदेश के समक्ष 92 हजार 774 करोड़ रुपए की प्रत्यक्ष देनदारी है. इसमें 76 हजार 630 करोड़ रुपए का कर्ज शामिल है. उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने चुनावी साल में 16 हजार 201 करोड़ रुपए खर्च किए. उन्होंने हिमाचल प्रदेश में वित्तीय को प्रबंधन के लिए पूर्व सरकार को जिम्मेदार ठहराया.
पैदा होने वाले हर बच्चे पर 1 लाख 02 हजार 818 रुपए का कर्ज
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सदन को बताया कि साल 2017-18 में हिमाचल प्रदेश पर 47 हजार 906 करोड़ रुपए का कर्ज था, लेकिन साल 2022-23 तक किया कर 76 हजार 630 करोड़ रुपए पर आ पहुंचा. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पैदा होने वाले हर बच्चे पर 1 लाख 02 हजार 818 रुपए का कर्ज है. साल 2017 में यह कर्ज 66 हजार था, लेकिन पिछली सरकार के कुप्रबंधन की वजह से यह कर्ज बढ़ता ही चला गया. उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने सरकारी खर्चे पर अपनी पार्टी चलाने की कोशिश की.
पूर्व भाजपा सरकार ने किया वित्तीय कुप्रबंधन- अग्निहोत्री
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 31 मार्च 2017 को राज्य के सार्वजनिक उपक्रम का संचाई घाट 3584.91 करोड़ रुपए था जो 31 मार्च 2022 को बढ़ाकर 4902.78 करोड़ रुपए हो गया. उन्होंने कहा कि योजना आयोग के बंद होने से केंद्रीय योजना सहायता के लगभग तीन हजार करोड़ रुपए का नुकसान हिमाचल को झेलना पड़ा. हिमाचल प्रदेश में साल 2023-24 में साल 2022-23 की तुलना में 1319 करोड़ रुपए कम राजस्व घाटा अनुदान मिलेगा. इससे आने वाले साल अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राशि साल 2024-25 में घटकर 6258 करोड़ रुपए और साल 2025-26 में 3257 करोड़ रुपए हो जाएगी. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के अंतिम वित्तीय वर्ष के दौरान राजस्व घाटा तेजी से बढ़कर 6 हजार 336 करोड़ रुपए हो गया. यह बताता है कि चुनावी साल में बिना किसी मानदंडों का पालन किया कर फिजूलखर्ची की गई.
पूर्व सरकार पर फिजूलखर्ची के आरोप
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 15 वित्त आयोग ने राज्य के लिए कुल 1 हजार 420 करोड़ रुपए की विशेष अनुशंसा की थी. इसमें ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट मंडी के निर्माण के लिए एक हजार कार्ड रुपए, कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 400 करोड़ रुपए और ज्वालामुखी मंदिर शहर और आसपास के क्षेत्र के लिए 20 करोड़ रुपए शामिल थे, लेकिन केंद्र सरकार ने इसमें से कोई राशि जारी नहीं की. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने अमृत महोत्सव, प्रगतिशील हिमाचल और जन मंच में फिजूलखर्ची की. उन्होंने कहा कि इसमें जन मंच में 36 करोड़ रुपए का तंबू लगाए गया और 6 करोड़ रुपए की तो रोटी ही डकार ली गई.
नेता प्रतिपक्ष ने किया पलटवार
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के इस वक्तव्य के बीच विपक्ष ने विरोध किया. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि उप मुख्यमंत्री को अपनी शब्दावली पर संयम रखना चाहिए. उन्होंने यहां पर पूछा है कि क्या पिछली सरकार अपना पूरा कर्ज चुकाकर वापस गई थी? उन्होंने कहा कि वह देखेंगे कि मौजूदा सरकार बिना कर्ज कैसे चलती है? नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आठ महीने के छोटे से कार्यकाल में ही कांग्रेस सरकार आठ हजार करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है. उन्होंने कहा कि व्हाइट पेपर के नाम पर राजनीतिक बयानबाजी करना दुर्भाग्यपूर्ण है. साथ ही जयराम ठाकुर ने प्राइवेट मेंबर बिल दे पर विधायकों के बिल को तरजीह न दिए जाने का मामला भी उठाया. उन्होंने कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल डे पर इस तरह की चर्चा को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी. यह चर्चा बाद में भी की जा सकती थी.